यूरोप में राष्ट्रवाद – Bihar board class 10th history chapter 1 notes

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19वीं सदी के यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय एक महत्वपूर्ण घटना थी जिसने पूरे महाद्वीप को बदल दिया। इस चैप्टर में हम यूरोप में राष्ट्रवाद के विकास, इसके कारणों, प्रमुख घटनाओं और प्रभावों का अध्ययन करेंगे। यह नोट्स बिहार बोर्ड कक्षा 10वीं के विद्यार्थियों के लिए तैयार किए गए हैं ताकि वे इस महत्वपूर्ण अध्याय को आसानी से समझ सकें और परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त कर सकें।

राष्ट्रवाद का अर्थ

राष्ट्रवाद का तात्पर्य उस भावना से है जो लोगों को एक राष्ट्र के रूप में एकजुट करती है। यह भावना विभिन्न कारकों से उत्पन्न होती है जैसे कि सांस्कृतिक समानता, भाषा, धर्म, इतिहास, और एक साझा भूगोल। राष्ट्रवाद का उदय एक प्रक्रिया है जिसमें लोगों की राजनीतिक और सांस्कृतिक पहचान का विकास होता है।

यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय

19वीं सदी की शुरुआत में यूरोप अनेक स्वतंत्र राज्यों और साम्राज्यों में बंटा हुआ था। फ्रांसीसी क्रांति (1789) और नेपोलियन के युद्धों ने यूरोप में राष्ट्रवाद की भावना को प्रेरित किया। नेपोलियन ने यूरोप में कई सुधार किए, जिससे जनता में एकता और समानता की भावना बढ़ी। हालांकि, नेपोलियन के पतन के बाद वियना कांग्रेस (1815) ने यूरोप में पुराने शासकों को बहाल कर दिया, जिससे राष्ट्रवादियों में असंतोष बढ़ा।

महत्वपूर्ण घटनाएँ और आंदोलन

  • यूनान की स्वतंत्रता:- 19वीं सदी की शुरुआत में यूनान तुर्की साम्राज्य के अधीन था। यूनानी लोगों ने स्वतंत्रता के लिए संघर्ष किया और 1821 में यूनानी स्वतंत्रता संग्राम शुरू किया। यह संग्राम 1832 में सफल हुआ और यूनान ने अपनी स्वतंत्रता प्राप्त की। यूनानी स्वतंत्रता संग्राम ने यूरोप के अन्य देशों में राष्ट्रीयता और स्वतंत्रता की भावना को प्रोत्साहित किया।।
  • इटली का एकीकरण:- इटली कई छोटे-छोटे राज्यों में बंटा हुआ था। 19वीं सदी के मध्य में ग्यूसेपे माजिनी, काउंट केवर और ग्यूसेपे गैरीबाल्डी जैसे नेताओं ने इटली के एकीकरण के लिए संघर्ष किया। 1861 में किंग विक्टर इमैनुएल II के नेतृत्व में इटली एक संयुक्त राष्ट्र बना।
  • जर्मनी का एकीकरण:- जर्मनी भी कई स्वतंत्र राज्यों में बंटा हुआ था। प्रशा के प्रधानमंत्री ओटो वॉन बिस्मार्क ने “रक्त और लोहे” की नीति के माध्यम से जर्मनी का एकीकरण किया। 1871 में जर्मनी एक संयुक्त राष्ट्र बना और किंग विल्हेम I जर्मनी के सम्राट बने।
  • जुलाई 1830 की क्रांति:- जुलाई 1830 में, फ्रांस में चार्ल्स X के निरंकुश शासन के खिलाफ एक क्रांति हुई। इस क्रांति को “जुलाई क्रांति” के नाम से जाना जाता है। क्रांति का मुख्य कारण चार्ल्स X द्वारा नागरिक स्वतंत्रताओं को सीमित करने वाले कानूनों का लागू करना था। पेरिस में व्यापक विरोध प्रदर्शन हुए, जिसमें मजदूर, छात्र और बुर्जुआ वर्ग के लोग शामिल थे। इस क्रांति ने चार्ल्स X को सत्ता छोड़ने पर मजबूर कर दिया और लुई-फिलिप को फ्रांस का नया राजा बना दिया गया।
  • 1830 की क्रांति के प्रभाव: –1830 की क्रांति ने पूरे यूरोप में एक श्रृंखला प्रतिक्रिया शुरू की। बेल्जियम ने नीदरलैंड्स से स्वतंत्रता प्राप्त की, और इटली, जर्मनी, पोलैंड और अन्य देशों में राष्ट्रवादी और उदारवादी आंदोलनों को प्रेरित किया। इन आंदोलनों का उद्देश्य स्वायत्तता और राष्ट्रीय एकता प्राप्त करना था। हालांकि, अधिकांश क्रांतियां असफल रहीं, लेकिन उन्होंने भविष्य की क्रांतियों के लिए मार्ग प्रशस्त किया और राष्ट्रीय भावना को मजबूत किया।
  • 1848 की क्रांति:- 848 की क्रांति यूरोप के कई देशों में हुई, जिसे “जनता की वसंत” के रूप में भी जाना जाता है। यह क्रांति फ्रांस, जर्मनी, इटली, ऑस्ट्रिया और हंगरी सहित कई देशों में फैली। इसका मुख्य उद्देश्य लोकतांत्रिक अधिकारों की प्राप्ति और राष्ट्रवादी आकांक्षाओं को पूरा करना था। हालांकि, यह क्रांति भी अंततः असफल रही, लेकिन इसने कई देशों में राजनीतिक और सामाजिक परिवर्तन की नींव रखी।

राष्ट्रवाद के प्रमुख सिद्धांत

  • उदार राष्ट्रवाद:- उदार राष्ट्रवाद का मानना है कि सभी राष्ट्रों को स्वतंत्रता और समानता का अधिकार है। यह सिद्धांत व्यक्तिगत अधिकारों और लोकतंत्र पर जोर देता है। फ्रांसीसी क्रांति ने इस सिद्धांत को लोकप्रिय बनाया।
  • रूढ़िवादी राष्ट्रवाद:- रूढ़िवादी राष्ट्रवाद का मानना है कि एक मजबूत और केंद्रीकृत सरकार ही राष्ट्रीय एकता को बनाए रख सकती है। यह सिद्धांत परंपराओं और प्राचीन मान्यताओं पर आधारित है। वियना कांग्रेस के बाद यूरोप में यह सिद्धांत प्रबल हुआ।

राष्ट्रवाद के प्रभाव

  • राजनीतिक प्रभाव:– राष्ट्रवाद ने यूरोप में कई नए राष्ट्रों का उदय किया और पुराने साम्राज्यों को कमजोर किया। इससे लोकतांत्रिक और संसदीय व्यवस्थाओं का विकास हुआ। राष्ट्रवादी आंदोलनों ने औपनिवेशिक शासन के खिलाफ संघर्ष को भी प्रेरित किया।
  • आर्थिक प्रभाव:– राष्ट्रवाद के कारण विभिन्न देशों में आर्थिक नीतियों का विकास हुआ। व्यापार और उद्योग को बढ़ावा मिला, जिससे आर्थिक प्रगति हुई। राष्ट्रवादी सरकारों ने अवसंरचना में सुधार किया और आर्थिक नीतियों को नियंत्रित किया।
  • सामाजिक और सांस्कृतिक प्रभाव:- राष्ट्रवाद ने सांस्कृतिक और सामाजिक एकता को बढ़ावा दिया। इससे शिक्षा, साहित्य, और कला के क्षेत्र में राष्ट्रीय पहचान का विकास हुआ। विभिन्न देशों में राष्ट्रीय भाषा, इतिहास, और संस्कृति का प्रचार-प्रसार हुआ।

यूरोप में राष्ट्रवाद के उदाहरण

  • फ्रांस:- सीसी क्रांति (1789) ने यूरोप में राष्ट्रवाद की भावना को प्रेरित किया। इस क्रांति ने स्वतंत्रता, समानता, और बंधुत्व के सिद्धांतों को स्थापित किया। नेपोलियन के नेतृत्व में फ्रांस ने यूरोप में कई सुधार किए और राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा दिया।
  • इटली:- इटली का एकीकरण 19वीं सदी के मध्य में हुआ। ग्यूसेपे माजिनी ने “यंग इटली” नामक संगठन की स्थापना की और इटली के एकीकरण के लिए संघर्ष किया। काउंट केवर ने उत्तरी इटली के राज्यों को एकीकृत किया और ग्यूसेपे गैरीबाल्डी ने दक्षिणी इटली को मिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
  • जर्मनी:- जर्मनी का एकीकरण प्रशा के प्रधानमंत्री ओटो वॉन बिस्मार्क के नेतृत्व में हुआ। बिस्मार्क ने तीन युद्धों के माध्यम से जर्मनी के विभिन्न राज्यों को एकीकृत किया। 1871 में फ्रांस के खिलाफ युद्ध में जीत के बाद जर्मनी एक संयुक्त राष्ट्र बना।

अध्याय के अंतर्गत महत्वपूर्ण घटनाएँ

  • फ्रांसीसी क्रांति (1789):- फ्रांसीसी क्रांति ने यूरोप में राष्ट्रवाद की भावना को जन्म दिया। इस क्रांति के परिणामस्वरूप स्वतंत्रता, समानता, और बंधुत्व के सिद्धांत स्थापित हुए। यह क्रांति यूरोप में अन्य राष्ट्रवादी आंदोलनों के लिए प्रेरणा बनी।
  • नेपोलियन के युद्ध:– नेपोलियन बोनापार्ट ने फ्रांस के सम्राट बनने के बाद यूरोप में कई सुधार किए। उनके युद्धों ने राष्ट्रवाद की भावना को बढ़ावा दिया। नेपोलियन ने यूरोप के विभिन्न हिस्सों में समान कानूनी और प्रशासनिक व्यवस्थाओं की स्थापना की।
  • वियना कांग्रेस (1815):- नेपोलियन के पतन के बाद, वियना कांग्रेस ने यूरोप में पुराने शासकों को बहाल किया। इस कांग्रेस का उद्देश्य यूरोप में शक्ति संतुलन बनाए रखना था। हालांकि, इसने राष्ट्रवादियों में असंतोष को बढ़ावा दिया, जिससे भविष्य में कई राष्ट्रवादी आंदोलनों का उदय हुआ।
  • मेज़िनी:- ग्यूसेपे मेज़िनी (1805-1872) इटली के एक प्रमुख राष्ट्रवादी नेता थे। उन्होंने “यंग इटली” नामक एक संगठन की स्थापना की, जिसका उद्देश्य इटली को विदेशी शासन से मुक्त कराना और एक स्वतंत्र राष्ट्र-राज्य बनाना था। मेज़िनी ने अपने जीवन का अधिकांश समय निर्वासन में बिताया, लेकिन उनके विचार और सिद्धांत इटली के एकीकरण आंदोलन के लिए प्रेरणा स्रोत बने।
  • एकीकरण का द्वितीय चरण:- इटली के एकीकरण का दूसरा चरण 1859 में शुरू हुआ, जब पिडमोंट-सार्डिनिया के प्रधानमंत्री काउंट कैवूर ने फ्रांस के साथ मिलकर ऑस्ट्रिया के खिलाफ युद्ध छेड़ा। इस युद्ध में पिडमोंट-सार्डिनिया को जीत मिली और उन्होंने उत्तरी इटली के कई राज्यों को अपने नियंत्रण में ले लिया। इसके बाद गैरीबाल्डी ने दक्षिणी इटली को भी एकीकृत किया।
  • काउंट कैवूर:- काउंट कैवूर (1810-1861) पिडमोंट-सार्डिनिया के प्रधानमंत्री थे और इटली के एकीकरण के मुख्य वास्तुकारों में से एक थे। उन्होंने राजनयिक कौशल और सैन्य शक्ति का उपयोग करके इटली के विभिन्न राज्यों को एकीकृत किया। कैवूर ने फ्रांस के साथ गठबंधन किया और ऑस्ट्रिया के खिलाफ सफल युद्ध लड़ा, जिससे उत्तरी इटली के अधिकांश हिस्से को स्वतंत्रता मिली।
  • गैरीबाल्डी :- ग्यूसेपे गैरीबाल्डी (1807-1882) इटली के एक प्रमुख सैन्य नेता और राष्ट्रवादी थे। उन्होंने “रेड शर्ट्स” नामक एक क्रांतिकारी सेना का नेतृत्व किया और दक्षिणी इटली के सिसिली और नेपल्स को स्वतंत्रता दिलाई। गैरीबाल्डी ने अपने बलिदान और साहस के माध्यम से इटली के एकीकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
  • बिस्मार्क:- ओटो वॉन बिस्मार्क (1815-1898) जर्मनी के एक प्रमुख राजनेता और प्रशिया के प्रधानमंत्री थे। उन्होंने “ब्लड एंड आयरन” की नीति अपनाई और जर्मनी के एकीकरण के लिए सैन्य शक्ति का उपयोग किया। बिस्मार्क ने कुशल राजनयिक और सैन्य रणनीतियों का उपयोग करके जर्मनी को एकीकृत किया और इसे एक प्रमुख यूरोपीय शक्ति बनाया।
  • हंगरी :- हंगरी भी 19वीं सदी में ऑस्ट्रिया के अधीन था। हंगरी के लोगों ने 1848 की क्रांति में स्वतंत्रता के लिए संघर्ष किया। हालांकि यह क्रांति असफल रही, लेकिन इसने हंगरी के लोगों में राष्ट्रीयता की भावना को मजबूत किया। 1867 में ऑस्ट्रिया-हंगरी समझौते के तहत हंगरी को स्वायत्तता मिली और उसे ऑस्ट्रो-हंगेरियन साम्राज्य के रूप में मान्यता मिली।
  • बोहेमिया:- बोहेमिया (वर्तमान में चेक गणराज्य) भी ऑस्ट्रिया के अधीन था। बोहेमिया में भी 1848 की क्रांति के दौरान राष्ट्रीयता की भावना प्रबल हुई। चेक लोगों ने स्वतंत्रता और स्वायत्तता की मांग की, लेकिन उनकी मांगें पूरी नहीं हो सकीं। हालांकि, यह क्रांति बोहेमिया के लोगों में राष्ट्रीयता और स्वतंत्रता की भावना को प्रोत्साहित करने में सफल रही।

महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तरी

प्रश्न 1. राष्ट्रवाद का क्या अर्थ है और यह कैसे उत्पन्न होता है?

उत्तर :- राष्ट्रवाद का अर्थ एक ऐसी भावना से है जो लोगों को एक राष्ट्र के रूप में एकजुट करती है। यह भावना सांस्कृतिक समानता, भाषा, धर्म, इतिहास, और साझा भूगोल जैसे कारकों से उत्पन्न होती है।

प्रश्न 2. यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय कैसे हुआ?

उत्तर :- यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय 19वीं सदी की शुरुआत में हुआ। फ्रांसीसी क्रांति और नेपोलियन के युद्धों ने राष्ट्रवाद की भावना को प्रेरित किया। वियना कांग्रेस के बाद पुराने शासकों की बहाली से राष्ट्रवादियों में असंतोष बढ़ा।

प्रश्न 3. इटली और जर्मनी के एकीकरण में किन नेताओं ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई?

उत्तर :- इटली के एकीकरण में ग्यूसेपे माजिनी, काउंट केवर, और ग्यूसेपे गैरीबाल्डी ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। जर्मनी के एकीकरण में ओटो वॉन बिस्मार्क ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

प्रश्न 4. राष्ट्रवाद के प्रमुख सिद्धांत क्या हैं?

उत्तर :- राष्ट्रवाद के प्रमुख सिद्धांतों में उदार राष्ट्रवाद और रूढ़िवादी राष्ट्रवाद शामिल हैं। उदार राष्ट्रवाद स्वतंत्रता और समानता पर जोर देता है, जबकि रूढ़िवादी राष्ट्रवाद एक मजबूत और केंद्रीकृत सरकार पर जोर देता है।

प्रश्न 5. राष्ट्रवाद के क्या प्रभाव हैं?

उत्तर :- राष्ट्रवाद के प्रभावों में राजनीतिक, आर्थिक, और सामाजिक-सांस्कृतिक प्रभाव शामिल हैं। इससे नए राष्ट्रों का उदय हुआ, आर्थिक नीतियों का विकास हुआ, और सांस्कृतिक एकता बढ़ी।

प्रश्न 6. यूनान की स्वतंत्रता का क्या महत्व था?

उत्तर :- यूनान की स्वतंत्रता का महत्व यह था कि यह यूरोप में तुर्क साम्राज्य के खिलाफ पहला सफल राष्ट्रवादी आंदोलन था। यह अन्य राष्ट्रवादी आंदोलनों के लिए प्रेरणा बना।

प्रश्न 7. बिस्मार्क की “रक्त और लोहे” की नीति क्या थी?

उत्तर :- बिस्मार्क की “रक्त और लोहे” की नीति का तात्पर्य था कि जर्मनी का एकीकरण केवल सैन्य शक्ति और युद्ध के माध्यम से ही संभव है। उन्होंने इस नीति के माध्यम से तीन युद्ध लड़े और जर्मनी का एकीकरण किया।

प्रश्न 8. नेपोलियन ने कौन-कौन से सुधार किए?

उत्तर :- नेपोलियन ने कई सुधार किए जैसे कि समान कानूनी व्यवस्थाओं की स्थापना, प्रशासनिक सुधार, और आर्थिक नीतियों में सुधार। उन्होंने शिक्षा और धार्मिक स्वतंत्रता को भी बढ़ावा दिया।

प्रश्न 9. वियना कांग्रेस के प्रमुख निर्णय क्या थे?

उत्तर :- वियना कांग्रेस ने नेपोलियन के पतन के बाद यूरोप में पुराने शासकों को बहाल किया। इस कांग्रेस ने यूरोप में शक्ति संतुलन बनाए रखने के लिए विभिन्न समझौतों पर हस्ताक्षर किए और सीमाओं का पुनर्निर्धारण किया।

प्रश्न 10. राष्ट्रवाद के आर्थिक प्रभाव क्या थे?

उत्तर :- राष्ट्रवाद के आर्थिक प्रभावों में व्यापार और उद्योग का विकास, अवसंरचना में सुधार, और आर्थिक नीतियों का नियंत्रण शामिल था। इससे विभिन्न देशों में आर्थिक प्रगति हुई और राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था मजबूत हुई।

निष्कर्ष

यूरोप में राष्ट्रवाद – Bihar board class 10th history chapter 1 notes का अध्ययन विद्यार्थियों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह चैप्टर राष्ट्रवाद के विकास, महत्वपूर्ण घटनाओं, और इसके प्रभावों को समझने में मदद करता है। इस नोट्स के माध्यम से विद्यार्थियों को यह चैप्टर अच्छी तरह से समझ में आएगा और वे परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त कर सकेंगे। राष्ट्रवाद की भावना ने न केवल यूरोप को बदल दिया बल्कि यह विश्व इतिहास में भी एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है।

आशा है कि यह नोट्स विद्यार्थियों के लिए उपयोगी साबित होंगे और वे इतिहास के इस महत्वपूर्ण पहलू को अच्छी तरह समझ सकेंगे।

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