भारत में अंग्रेजी राज्य की स्थापना – Bihar Board Class 8 History chapter 2 Notes

Bihar Board Class 8 History chapter 2 Notesभारत में अंग्रेजी राज्य की स्थापना” भारत का इतिहास विभिन्न संस्कृतियों, राज्यों और प्रभावों का मिश्रण है। इनमें से एक सबसे परिवर्तनकारी काल भारत में अंग्रेजी राज्य की स्थापना का था। यह युग न केवल भारत के राजनीतिक परिदृश्य को पुनर्निर्मित किया बल्कि इसके सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक क्षेत्रों पर भी गहरा प्रभाव डाला। इस लेख में, हम उन प्रमुख घटनाओं और कारकों का अध्ययन करेंगे

Bihar Board Class 8 History chapter 2 Notes

इतिहास का यह अध्ययन हमें यह समझने में मदद करता है कि कैसे अतीत की घटनाएं वर्तमान को आकार देती हैं और हमें अपने भविष्य के लिए क्या सबक सीखने चाहिए। ब्रिटिश शासन के विरुद्ध संघर्ष और उसके प्रभाव हमें यह सिखाते हैं कि स्वतंत्रता और आत्मनिर्भरता के लिए संघर्ष हमेशा महत्वपूर्ण होता है और यह हमें अपने राष्ट्र के निर्माण में प्रेरित करता है।

भारत में अंग्रेजी राज्य की स्थापना – Bihar Board Class 8 History chapter 2 Notes

भारत में अंग्रेजी राज्य की स्थापना में योगदान दिया, जैसा कि भारत में अंग्रेजी राज्य की स्थापना – Bihar Board Class 8 History chapter 2 Notes पाठ्यक्रम में वर्णित है। ब्रिटिश शासन के दौरान भारत में कई महत्वपूर्ण सुधार और परिवर्तन हुए, जिन्होंने भारतीय समाज को आधुनिकता की दिशा में अग्रसर किया। लेकिन साथ ही, ब्रिटिश नीतियों ने भारतीय अर्थव्यवस्था और समाज को भी गंभीर नुकसान पहुँचाया।

भारत में ब्रिटिश रुचियों की शुरुआत

ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी, जिसकी स्थापना 1600 में हुई थी, प्रारंभ में व्यापारिक उद्देश्यों से भारत आई थी। कंपनी का मुख्य उद्देश्य मसालों, रेशम, कपास और अन्य मूल्यवान वस्तुओं का व्यापार करना था। हालांकि, समय के साथ, कंपनी की भूमिका एक व्यापारिक इकाई से राजनीतिक शक्ति में बदल गई।

प्लासी का युद्ध (1757)

भारत में अंग्रेजी राज्य की स्थापना की दिशा में एक महत्वपूर्ण घटना 23 जून 1757 को लड़ी गई प्लासी की लड़ाई थी। यह युद्ध बंगाल के नवाब सिराज-उद-दौला और ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना के बीच हुआ था, जिसका नेतृत्व रॉबर्ट क्लाइव कर रहे थे। मीर जाफर, जो सिराज-उद-दौला का कमांडर था, ने ब्रिटिशों का साथ देकर धोखा दिया, जिससे ब्रिटिशों की विजय सुनिश्चित हुई। इस जीत ने ब्रिटिशों को बंगाल पर नियंत्रण दिया, जो भारत में उनकी राजनीतिक प्रभुत्व की शुरुआत थी।

बक्सर का युद्ध (1764)

22 अक्टूबर 1764 को लड़ा गया बक्सर का युद्ध, भारत में ब्रिटिश नियंत्रण को और मजबूत करने वाली एक और महत्वपूर्ण घटना थी। यह युद्ध ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी और बंगाल, अवध और मुगल सम्राट के संयुक्त बलों के बीच लड़ा गया था। इस युद्ध में ब्रिटिशों की जीत ने उन्हें बंगाल, बिहार और उड़ीसा पर प्रशासनिक और आर्थिक नियंत्रण प्रदान किया। बक्सर की जीत के बाद, 1765 में इलाहाबाद की संधि के माध्यम से, मुगल सम्राट शाह आलम द्वितीय ने बंगाल, बिहार और उड़ीसा की दीवानी (राजस्व संग्रहण का अधिकार) ब्रिटिशों को सौंप दी।

कंपनी का प्रशासन और नीतियां:- ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारत में अपने नियंत्रण को मजबूत करने के लिए कई प्रशासनिक और आर्थिक नीतियों को अपनाया। इन नीतियों ने न केवल ब्रिटिशों के प्रभाव को बढ़ाया बल्कि भारतीय समाज और अर्थव्यवस्था पर भी गहरा प्रभाव डाला।

स्थायी बंदोबस्त

1786 में, लॉर्ड कॉर्नवालिस ने बंगाल में स्थायी बंदोबस्त की शुरुआत की। इसके अंतर्गत, भूमि के राजस्व को स्थायी रूप से निर्धारित किया गया और जमींदारों को भूमि का स्वामी बना दिया गया। जमींदारों को नियमित रूप से राजस्व का भुगतान करना होता था, अन्यथा उनकी भूमि जब्त कर ली जाती थी। इस व्यवस्था ने जमींदारों को समृद्ध बनाया लेकिन किसानों की स्थिति खराब हो गई, क्योंकि उन पर अत्यधिक करों का बोझ बढ़ा दिया गया।

रैयतवाड़ी और महलवाड़ी व्यवस्था

ब्रिटिशों ने मद्रास और बॉम्बे प्रेसिडेंसी में रैयतवाड़ी व्यवस्था को लागू किया। इसके तहत, सीधे किसानों से राजस्व वसूला जाता था। इसी प्रकार, उत्तरी भारत के कुछ हिस्सों में महलवाड़ी व्यवस्था को अपनाया गया, जिसमें गांव के मुखिया (महल) से राजस्व वसूला जाता था।

आर्थिक नीतियां

ब्रिटिशों की आर्थिक नीतियों का उद्देश्य भारत को कच्चे माल का आपूर्तिकर्ता और ब्रिटिश निर्मित वस्त्रों का बाजार बनाना था। उन्होंने भारतीय उद्योगों, विशेषकर वस्त्र उद्योग को हानि पहुँचाई, जिससे लाखों कारीगर बेरोजगार हो गए। उन्होंने रेलवे, डाक सेवा और तार सेवा जैसी आधुनिक सुविधाओं की स्थापना की, लेकिन इनका मुख्य उद्देश्य अपने आर्थिक लाभ के लिए भारत के संसाधनों का दोहन करना था।

राजनीतिक विस्तार और प्रतिरोध:- ब्रिटिशों ने अपने साम्राज्य का विस्तार करने के लिए विभिन्न युद्धों और कूटनीतिक चालों का सहारा लिया।

  • मैसूर युद्ध:- ब्रिटिशों और मैसूर के शासकों (हैदर अली और टीपू सुल्तान) के बीच चार युद्ध लड़े गए। 1799 में चौथे एंग्लो-मैसूर युद्ध में टीपू सुल्तान की मृत्यु के बाद, मैसूर का अधिकांश भाग ब्रिटिश नियंत्रण में आ गया।
  • मराठा युद्ध:- ब्रिटिशों ने मराठों के साथ तीन युद्ध लड़े, जिन्हें एंग्लो-मराठा युद्ध कहा जाता है। इन युद्धों के परिणामस्वरूप मराठों की शक्ति समाप्त हो गई और ब्रिटिशों का पश्चिमी और केंद्रीय भारत पर नियंत्रण स्थापित हो गया।
  • सिख युद्ध:- ब्रिटिशों और सिखों के बीच दो युद्ध लड़े गए। 1849 में द्वितीय एंग्लो-सिख युद्ध के बाद, पंजाब को ब्रिटिश साम्राज्य में मिला लिया गया।

ब्रिटिश शासन के सामाजिक और सांस्कृतिक प्रभाव:- ब्रिटिश शासन का भारतीय समाज और संस्कृति पर गहरा प्रभाव पड़ा।

  • शिक्षा:- ब्रिटिशों ने भारत में अंग्रेजी शिक्षा प्रणाली की शुरुआत की। लॉर्ड मैकाले की सिफारिशों पर आधारित मैकाले मिनट (1835) ने अंग्रेजी भाषा और पश्चिमी शिक्षा को बढ़ावा दिया। इसके परिणामस्वरूप, भारतीयों के बीच एक नया शिक्षित वर्ग उभरा, जिसने बाद में स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
  • समाज सुधार:- ब्रिटिश शासन के दौरान, कई समाज सुधार आंदोलनों का भी उदय हुआ। राजा राममोहन राय, ईश्वरचंद्र विद्यासागर, स्वामी विवेकानंद जैसे समाज सुधारकों ने सती प्रथा, बाल विवाह, और छुआछूत जैसी सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ अभियान चलाया।
  • धार्मिक सुधार:- ब्रिटिश काल में कई धार्मिक सुधार आंदोलन भी उभरे। ब्रह्म समाज, आर्य समाज, और थियोसोफिकल सोसाइटी जैसे संगठनों ने धार्मिक और सामाजिक सुधारों को बढ़ावा दिया।
  • 1857 का विद्रोह:- 1857 का विद्रोह, जिसे प्रथम स्वतंत्रता संग्राम या सिपाही विद्रोह भी कहा जाता है, ब्रिटिश शासन के खिलाफ पहला संगठित विद्रोह था। यह विद्रोह मेरठ में सिपाहियों द्वारा शुरू किया गया और जल्द ही देश के विभिन्न हिस्सों में फैल गया। विद्रोह के प्रमुख कारणों में सैनिकों में असंतोष, ब्रिटिश नीतियों का विरोध, और सामाजिक-धार्मिक कुरीतियों का विरोध शामिल था।

हालांकि विद्रोह को ब्रिटिशों ने दबा दिया, लेकिन इसने ब्रिटिश शासन को हिला कर रख दिया और 1858 में ब्रिटिश सरकार ने ईस्ट इंडिया कंपनी का शासन समाप्त कर सीधे भारत का शासन अपने हाथ में ले लिया।

निष्कर्ष

भारत में ब्रिटिश राज्य की स्थापना न केवल एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक घटना थी बल्कि इसने भारतीय समाज, अर्थव्यवस्था और संस्कृति पर गहरा और दीर्घकालिक प्रभाव डाला। Bihar Board Class 8 History chapter 2 Notesभारत में अंग्रेजी राज्य की स्थापना” के माध्यम से हमने देखा कि कैसे ब्रिटिशों ने अपनी सैन्य शक्ति, कूटनीति और प्रशासनिक नीतियों के माध्यम से भारत पर अपना नियंत्रण स्थापित किया।

ब्रिटिश शासन के दौरान भारत में कई महत्वपूर्ण सुधार और परिवर्तन हुए, जिन्होंने भारतीय समाज को आधुनिकता की दिशा में अग्रसर किया। लेकिन साथ ही, ब्रिटिश नीतियों ने भारतीय अर्थव्यवस्था और समाज को भी गंभीर नुकसान पहुँचाया।

इतिहास का यह अध्ययन हमें यह समझने में मदद करता है कि कैसे अतीत की घटनाएं वर्तमान को आकार देती हैं और हमें अपने भविष्य के लिए क्या सबक सीखने चाहिए। ब्रिटिश शासन के विरुद्ध संघर्ष और उसके प्रभाव हमें यह सिखाते हैं कि स्वतंत्रता और आत्मनिर्भरता के लिए संघर्ष हमेशा महत्वपूर्ण होता है और यह हमें अपने राष्ट्र के निर्माण में प्रेरित करता है।

Bihar board class 8th social science notes समाधान

सामाजिक  विज्ञान – हमारी दुनिया भाग 3
आध्यायअध्याय का नाम
1.संसाधन
1A.भूमि, मृदा एवं जल संसाधन
1B.वन एवं वन्य प्राणी संसाधन
1C.खनिज संसाधन
1D.ऊर्जा संसाधन
2.भारतीय कृषि
3उद्योग
3Aलौह-इस्पात उद्योग
3Bवस्त्र उद्योग
3C.सूचना प्रौद्योगिकी उद्योग
4.परिवहन
5.मानव ससंधन
6.एशिया (no Available notes)
7भौगोलिक आँकड़ों का प्रस्तुतिकरण (no Available notes)
कक्ष 8 सामाजिक विज्ञान – अतीत से वर्तमान भाग 3
आध्यायअध्याय का नाम
1.कब, कहाँ और कैसे
2.भारत में अंग्रेजी राज्य की स्थापना
3.ग्रामीण ज़ीवन और समाज
4.उपनिवेशवाद एवं जनजातीय समाज
5.शिल्प एवं उद्योग
6.अंग्रेजी शासन के खिलाफ संघर्ष (1857 का विद्रोह)
7.ब्रिटिश शासन एवं शिक्षा
8.जातीय व्यवस्था की चुनौतियाँ
9.महिलाओं की स्थिति एवं सुधार
10.अंग्रेजी शासन एवं शहरी बदलाव
11.कला क्षेत्र में परिवर्तन
12.राष्ट्रीय आन्दोलन (1885-1947)
13.स्वतंत्रता के बाद विभाजित भारत का जन्म
14.हमारे इतिहासकार कालीकिंकर दत्त (1905-1982)
सामाजिक आर्थिक एवं राजनीतिक जीवन भाग 3
अध्यायअध्याय का नाम
1.भारतीय संविधान
2.धर्मनिरपेक्षता और मौलिक अधिकार
3.संसदीय सरकार (लोग व उनके प्रतिनिधि)
4.कानून की समझ
5.न्यायपालिका
6.न्यायिक प्रक्रिया
7.सहकारिता
8.खाद्य सुरक्षा

Leave a Comment