ब्रिटिश शासन एवं शिक्षा – Bihar Board class 8 social science history chapter 7 notes

भारत का इतिहास विविध और गहन है, जिसमें विभिन्न शासकों और शासनों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। ब्रिटिश शासन का भारत के सामाजिक, आर्थिक और शैक्षिक पहलुओं पर गहरा प्रभाव पड़ा।

Bihar Board class 8 social science history chapter 7 notes

इस लेख में, हम ब्रिटिश शासन और शिक्षा के विभिन्न पहलुओं को समझेंगे, जो Bihar Board class 8 social science history chapter 7 notes “ब्रिटिश शासन एवं शिक्षा” में शामिल हैं।

ब्रिटिश शासन एवं शिक्षा – Bihar Board class 8 social science history chapter 7 notes

ब्रिटिश शासन का भारत में आगमन व्यापारिक उद्देश्यों से शुरू हुआ। 1600 में, ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना हुई और उन्होंने व्यापारिक गतिविधियों के माध्यम से धीरे-धीरे भारत में अपनी जड़े जमाई। 1757 के प्लासी युद्ध के बाद, कंपनी ने बंगाल पर अधिकार प्राप्त किया और यह भारत में ब्रिटिश साम्राज्य की नींव रखी गई।

ब्रिटिश शासन की आर्थिक नीतियाँ

ब्रिटिश शासन के दौरान भारत की अर्थव्यवस्था में बड़े परिवर्तन हुए। ब्रिटिश शासन ने भारतीय उद्योगों को ध्वस्त कर दिया और कृषि को मुख्य रूप से निर्यात के लिए फसलों की ओर मोड़ दिया। इसके परिणामस्वरूप भारतीय किसान गरीबी में धकेल दिए गए और भारतीय शिल्पकला और कुटीर उद्योग बर्बाद हो गए। ब्रिटिश शासन ने भारतीयों पर भारी कर लगाए और भारतीय अर्थव्यवस्था को अपने हित में इस्तेमाल किया।

ब्रिटिश शिक्षा प्रणाली का उद्भव

ब्रिटिश शासन ने भारतीय शिक्षा प्रणाली में कई बदलाव किए। उनका मुख्य उद्देश्य भारतीयों को ऐसे शिक्षित करना था जिससे वे ब्रिटिश प्रशासन में सहायक हो सकें। 1813 का चार्टर एक्ट ब्रिटिश शिक्षा प्रणाली के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इस एक्ट के तहत, भारतीयों को शिक्षा प्रदान करने के लिए एक राशि निर्धारित की गई।

1835 में, लॉर्ड मैकाले ने भारतीय शिक्षा पर मैकाले मिनट्स प्रस्तुत किए, जिसमें उन्होंने अंग्रेजी भाषा को प्राथमिकता देने की वकालत की। इसके परिणामस्वरूप, अंग्रेजी माध्यम की शिक्षा को बढ़ावा मिला और भारतीय भाषाओं की उपेक्षा की गई।

वुड्स डिस्पैच (1854):- वुड्स डिस्पैच 1854 में चार्ल्स वुड द्वारा प्रस्तावित एक महत्वपूर्ण दस्तावेज था जिसने भारतीय शिक्षा प्रणाली में संरचनात्मक बदलाव किए। वुड्स डिस्पैच के मुख्य बिंदु निम्नलिखित थे:

  • सभी स्तरों पर शिक्षा का विस्तार: प्राथमिक, माध्यमिक और उच्च शिक्षा।
  • शिक्षक प्रशिक्षण संस्थानों की स्थापना।
  • अंग्रेजी और भारतीय भाषाओं में शिक्षा प्रदान करने की योजना।
  • महिला शिक्षा पर बल देना।
  • उच्च शिक्षा का विकास

ब्रिटिश शासन के दौरान भारतीय उच्च शिक्षा का विकास भी हुआ। 1857 में, भारत में तीन प्रमुख विश्वविद्यालयों की स्थापना की गई: कलकत्ता विश्वविद्यालय, बॉम्बे विश्वविद्यालय, और मद्रास विश्वविद्यालय। इन विश्वविद्यालयों का मुख्य उद्देश्य भारतीयों को उच्च शिक्षा प्रदान करना था, ताकि वे प्रशासनिक और कानूनी सेवाओं में योगदान दे सकें।

तकनीकी और चिकित्सा शिक्षा

ब्रिटिश शासन ने तकनीकी और चिकित्सा शिक्षा पर भी ध्यान दिया। 1847 में, कलकत्ता मेडिकल कॉलेज की स्थापना की गई, जो भारत में आधुनिक चिकित्सा शिक्षा का प्रारंभिक केंद्र बना। इसके बाद, कई अन्य चिकित्सा और इंजीनियरिंग कॉलेजों की स्थापना की गई, जिससे भारतीयों को तकनीकी और चिकित्सा शिक्षा प्राप्त करने का अवसर मिला।

महिला शिक्षा का विकास

ब्रिटिश शासन के दौरान महिला शिक्षा पर भी ध्यान दिया गया। 19वीं सदी के मध्य में, महिला शिक्षा की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए गए। बेथ्यून स्कूल, जो 1849 में स्थापित हुआ, महिलाओं के लिए पहला प्रमुख शिक्षण संस्थान था। इसके बाद, कई मिशनरी स्कूलों और महिला कॉलेजों की स्थापना की गई, जिससे महिलाओं को शिक्षा प्राप्त करने का अवसर मिला।

भारतीय समाज पर ब्रिटिश शिक्षा प्रणाली का प्रभाव

ब्रिटिश शिक्षा प्रणाली का भारतीय समाज पर व्यापक प्रभाव पड़ा। इस शिक्षा प्रणाली ने भारतीयों को आधुनिक विज्ञान, गणित, साहित्य और अन्य विषयों से परिचित कराया। इसके साथ ही, इसने भारतीयों को स्वतंत्रता संग्राम के लिए प्रेरित किया। भारतीय नेता जैसे महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू, और सुभाष चंद्र बोस ब्रिटिश शिक्षा प्रणाली के उत्पाद थे, जिन्होंने भारत की स्वतंत्रता के लिए संघर्ष किया।

शिक्षा के माध्यम से भारतीय समाज में जागरूकता

ब्रिटिश शिक्षा प्रणाली ने भारतीय समाज में जागरूकता और नवजागरण का संचार किया। भारतीय समाज में सुधार आंदोलनों का उदय हुआ, जिसने सामाजिक कुरीतियों जैसे सती प्रथा, बाल विवाह, और जाति प्रथा के खिलाफ आवाज उठाई। राजा राम मोहन राय, ईश्वर चंद्र विद्यासागर, और महात्मा फुले जैसे समाज सुधारकों ने शिक्षा के माध्यम से समाज में जागरूकता फैलाने का काम किया।

शिक्षा और भारतीय स्वतंत्रता संग्राम

ब्रिटिश शिक्षा प्रणाली ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। शिक्षित भारतीयों ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ आवाज उठाई और स्वतंत्रता संग्राम का नेतृत्व किया। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के गठन के साथ, शिक्षित भारतीयों ने संगठित रूप से स्वतंत्रता की मांग की। बाल गंगाधर तिलक, गोपाल कृष्ण गोखले, और मोतीलाल नेहरू जैसे नेताओं ने ब्रिटिश शिक्षा प्रणाली का लाभ उठाकर स्वतंत्रता संग्राम को मजबूत किया।

भारतीय शिक्षा प्रणाली में सुधार के प्रयास

ब्रिटिश शासन के दौरान, भारतीय शिक्षा प्रणाली में सुधार के कई प्रयास किए गए। 1882 में, हंटर आयोग की स्थापना की गई, जिसने भारतीय शिक्षा प्रणाली की स्थिति का आकलन किया और सुधार के सुझाव दिए। आयोग ने प्राथमिक शिक्षा के विस्तार, माध्यमिक शिक्षा में सुधार, और शिक्षक प्रशिक्षण पर बल दिया।

राष्ट्रीय शिक्षा आंदोलन

ब्रिटिश शिक्षा प्रणाली के विरोध में, भारतीयों ने राष्ट्रीय शिक्षा आंदोलन की शुरुआत की। इस आंदोलन का उद्देश्य भारतीय मूल्यों और संस्कृति पर आधारित शिक्षा प्रणाली का विकास करना था। 1905 के बंग-भंग आंदोलन के दौरान, राष्ट्रीय शिक्षा संस्थानों की स्थापना की गई, जो भारतीय भाषाओं और संस्कृतियों को बढ़ावा देते थे।

ब्रिटिश शासन के बाद शिक्षा का विकास

भारत की स्वतंत्रता के बाद, शिक्षा प्रणाली में कई महत्वपूर्ण परिवर्तन हुए। भारतीय संविधान ने शिक्षा को एक मौलिक अधिकार घोषित किया और सरकार ने शिक्षा के विस्तार के लिए कई योजनाएँ बनाई। भारतीय शिक्षा नीति में सुधार किए गए, जिससे शिक्षा को सभी के लिए सुलभ और समान बनाया जा सके।

निष्कर्ष

ब्रिटिश शासन का भारतीय शिक्षा प्रणाली पर गहरा प्रभाव पड़ा। हालांकि ब्रिटिशों का मुख्य उद्देश्य भारतीयों को अपने प्रशासनिक कार्यों के लिए तैयार करना था, लेकिन इससे भारतीय समाज में जागरूकता और नवजागरण का संचार हुआ। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में भी शिक्षा की महत्वपूर्ण भूमिका रही। आज, भारतीय शिक्षा प्रणाली ने ब्रिटिश शिक्षा प्रणाली से प्रेरणा लेकर अपने ढांचे में सुधार किए हैं और यह सुनिश्चित किया है कि शिक्षा सभी के लिए सुलभ हो।

Bihar board class 8th social science notes समाधान

सामाजिक  विज्ञान – हमारी दुनिया भाग 3
आध्यायअध्याय का नाम
1.संसाधन
1A.भूमि, मृदा एवं जल संसाधन
1B.वन एवं वन्य प्राणी संसाधन
1C.खनिज संसाधन
1D.ऊर्जा संसाधन
2.भारतीय कृषि
3उद्योग
3Aलौह-इस्पात उद्योग
3Bवस्त्र उद्योग
3C.सूचना प्रौद्योगिकी उद्योग
4.परिवहन
5.मानव ससंधन
6.एशिया (no Available notes)
7भौगोलिक आँकड़ों का प्रस्तुतिकरण (no Available notes)
कक्ष 8 सामाजिक विज्ञान – अतीत से वर्तमान भाग 3
आध्यायअध्याय का नाम
1.कब, कहाँ और कैसे
2.भारत में अंग्रेजी राज्य की स्थापना
3.ग्रामीण ज़ीवन और समाज
4.उपनिवेशवाद एवं जनजातीय समाज
5.शिल्प एवं उद्योग
6.अंग्रेजी शासन के खिलाफ संघर्ष (1857 का विद्रोह)
7.ब्रिटिश शासन एवं शिक्षा
8.जातीय व्यवस्था की चुनौतियाँ
9.महिलाओं की स्थिति एवं सुधार
10.अंग्रेजी शासन एवं शहरी बदलाव
11.कला क्षेत्र में परिवर्तन
12.राष्ट्रीय आन्दोलन (1885-1947)
13.स्वतंत्रता के बाद विभाजित भारत का जन्म
14.हमारे इतिहासकार कालीकिंकर दत्त (1905-1982)
सामाजिक आर्थिक एवं राजनीतिक जीवन भाग 3
अध्यायअध्याय का नाम
1.भारतीय संविधान
2.धर्मनिरपेक्षता और मौलिक अधिकार
3.संसदीय सरकार (लोग व उनके प्रतिनिधि)
4.कानून की समझ
5.न्यायपालिका
6.न्यायिक प्रक्रिया
7.सहकारिता
8.खाद्य सुरक्षा

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