भारतीय कृषि – Bihar board class 8th hamari duniya chapter 2 notes

भारत एक कृषि प्रधान देश है, जहाँ की अधिकांश जनसंख्या कृषि पर निर्भर है। भारतीय कृषि न केवल देश की आर्थिक संरचना का आधार है, बल्कि यह भारतीय समाज की सामाजिक और सांस्कृतिक धरोहर का भी महत्वपूर्ण हिस्सा है।

Bihar board class 8th hamari duniya chapter 2 notes

इस लेख में, हम Bihar board class 8th hamari duniya chapter 2 notes “भारतीय कृषि” के सम्पूर्ण नोट्स प्रस्तुत करेंगे। इसमें हम भारतीय कृषि के महत्व, प्रकार, फसलों के प्रकार, कृषि पद्धतियाँ, चुनौतियाँ, और सुधार के उपायों पर विस्तृत चर्चा करेंगे।

भारतीय कृषि – Bihar board class 8th hamari duniya chapter 2 notes

भारतीय कृषि का महत्व:- भारतीय कृषि का महत्व निम्नलिखित बिंदुओं में देखा जा सकता है:

  • आर्थिक योगदान: कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार है। यह देश के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का महत्वपूर्ण हिस्सा है और लाखों लोगों को रोजगार प्रदान करती है।
  • रोजगार: कृषि क्षेत्र में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से करोड़ों लोग रोजगार पाते हैं। यह ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार का प्रमुख स्रोत है।
  • भोजन की आपूर्ति: कृषि देश की खाद्य सुरक्षा को सुनिश्चित करती है। यह अनाज, दालें, सब्जियाँ, फल, और अन्य खाद्य पदार्थों का उत्पादन करती है।
  • कच्चे माल की आपूर्ति: कृषि कई उद्योगों को कच्चा माल प्रदान करती है, जैसे कि कपड़ा उद्योग, चीनी उद्योग, और खाद्य प्रसंस्करण उद्योग।
  • निर्यात: भारतीय कृषि उत्पादों का निर्यात भी किया जाता है, जिससे विदेशी मुद्रा अर्जित होती है और देश की आर्थिक स्थिति मजबूत होती है।

भारतीय कृषि के प्रकार:- भारतीय कृषि को विभिन्न प्रकारों में वर्गीकृत किया जा सकता है:

कृषि के आधार पर:

  • फसल कृषि: इसमें अनाज, दलहन, तिलहन, और फाइबर फसलें शामिल हैं। प्रमुख फसलों में गेहूं, चावल, ज्वार, बाजरा, मक्का, और गन्ना शामिल हैं।
  • बागवानी: इसमें फल, सब्जियाँ, फूल, और मसाले उगाए जाते हैं। आम, केला, अंगूर, टमाटर, प्याज, और लहसुन प्रमुख बागवानी फसलें हैं।
  • पशुपालन: इसमें गाय, भैंस, बकरी, भेड़, और मुर्गी पालन शामिल है। पशुपालन दूध, मांस, ऊन, और अंडे का उत्पादन करता है।
  • मत्स्य पालन: इसमें मछलियों का पालन और उत्पादन शामिल है। यह समुद्री और अंतर्देशीय मछली पालन को कवर करता है।
  • रेशमकीट पालन: इसमें रेशमकीट से रेशम का उत्पादन शामिल है। यह मुख्यतः असम, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक, और तमिलनाडु में किया जाता है।

कृषि की प्रकृति के आधार पर:

  • सघन कृषि: इसमें छोटे खेतों में अधिक उत्पादन के लिए उन्नत तकनीकों और उर्वरकों का उपयोग किया जाता है।
  • विस्तारित कृषि: इसमें बड़े खेतों में कम उत्पादन होता है और पारंपरिक कृषि विधियों का उपयोग किया जाता है।
  • स्वस्थानी कृषि: इसमें किसान अपनी आवश्यकताओं के लिए खेती करते हैं और बाजार के लिए कम उत्पादन होता है।
  • व्यावसायिक कृषि: इसमें बड़े पैमाने पर उत्पादन किया जाता है और उत्पादों को बाजार में बेचा जाता है।

भारतीय कृषि में प्रमुख फसलें:- भारतीय कृषि में विभिन्न प्रकार की फसलें उगाई जाती हैं, जिन्हें उनके मौसम और उत्पादन के आधार पर वर्गीकृत किया जा सकता है:

खरीफ फसलें:

  • मौसम: खरीफ फसलों की बुवाई मानसून के प्रारंभ में की जाती है और फसल की कटाई शरद ऋतु में की जाती है।
  • प्रमुख फसलें: धान, मक्का, बाजरा, ज्वार, गन्ना, सोयाबीन, मूंगफली, और कपास।

रबी फसलें:

  • मौसम: रबी फसलों की बुवाई शरद ऋतु में की जाती है और फसल की कटाई वसंत ऋतु में की जाती है।
  • प्रमुख फसलें: गेहूं, जौ, चना, मटर, सरसों, और मसूर।

जायद फसलें:

  • मौसम: जायद फसलों की बुवाई गर्मियों में की जाती है और फसल की कटाई वर्षा ऋतु से पहले की जाती है।
  • प्रमुख फसलें: तरबूज, खरबूजा, ककड़ी, लौकी, और अन्य सब्जियाँ।

भारतीय कृषि पद्धतियाँ:- भारतीय कृषि में विभिन्न पद्धतियाँ अपनाई जाती हैं, जिनमें पारंपरिक और आधुनिक दोनों शामिल हैं:

पारंपरिक कृषि पद्धतियाँ:

  • जोताई और बुवाई: पारंपरिक पद्धतियों में बैलों और हल का उपयोग करके खेतों की जोताई और बुवाई की जाती है।
  • सिचाई: कुओं, नहरों, और तालाबों का उपयोग सिचाई के लिए किया जाता है।
  • खाद और उर्वरक: जैविक खाद, गोबर, और अन्य प्राकृतिक उर्वरकों का उपयोग किया जाता है।
  • कीट प्रबंधन: पारंपरिक पद्धतियों में प्राकृतिक कीटनाशकों और जैविक कीट नियंत्रण का उपयोग किया जाता है।

आधुनिक कृषि पद्धतियाँ:

  • यांत्रिकीकरण: ट्रैक्टर, कंबाइन हार्वेस्टर, और अन्य कृषि मशीनों का उपयोग जोताई, बुवाई, और कटाई के लिए किया जाता है।
  • सिंचाई तकनीक: ड्रिप सिचाई, स्प्रिंकलर सिचाई, और अन्य उन्नत सिचाई प्रणालियों का उपयोग किया जाता है।
  • रासायनिक उर्वरक: आधुनिक कृषि में रासायनिक उर्वरकों का व्यापक उपयोग किया जाता है, जैसे कि यूरिया, डीएपी, और पोटाश।
  • कीटनाशक और फफूंदनाशक: रासायनिक कीटनाशकों और फफूंदनाशकों का उपयोग कीट और रोग नियंत्रण के लिए किया जाता है।
  • उन्नत बीज: उच्च उत्पादन और रोग प्रतिरोधकता वाले उन्नत बीजों का उपयोग किया जाता है।

भारतीय कृषि की चुनौतियाँ:- भारतीय कृषि को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, जिनमें प्राकृतिक, तकनीकी, आर्थिक, और सामाजिक समस्याएँ शामिल हैं:

प्राकृतिक चुनौतियाँ:

  • मौसम की अनिश्चितता: मानसून की अनिश्चितता और अनियमित वर्षा से फसलों की पैदावार प्रभावित होती है।
  • जलवायु परिवर्तन: जलवायु परिवर्तन के कारण तापमान में वृद्धि, बाढ़, सूखा, और अन्य प्राकृतिक आपदाएँ कृषि को प्रभावित करती हैं।
  • भूमि क्षरण: अधिक उपज के लिए अति खेती और अनुचित कृषि पद्धतियों के कारण भूमि की उर्वरता कम होती जा रही है।

तकनीकी चुनौतियाँ:

  • तकनीकी ज्ञान की कमी: किसानों के पास आधुनिक कृषि तकनीकों और उन्नत उपकरणों की जानकारी का अभाव है।
  • सिचाई की समस्या: पर्याप्त सिचाई सुविधाओं का अभाव और जल संसाधनों का सही उपयोग न हो पाने के कारण फसलों की पैदावार प्रभावित होती है।

आर्थिक चुनौतियाँ:

  • वित्तीय संसाधनों की कमी: किसानों के पास कृषि के लिए आवश्यक वित्तीय संसाधनों का अभाव होता है, जिससे उन्हें कर्ज लेना पड़ता है।
  • बाजार की समस्या: कृषि उत्पादों के उचित मूल्य न मिल पाने और विपणन सुविधाओं के अभाव के कारण किसानों को आर्थिक नुकसान होता है।

सामाजिक चुनौतियाँ:

  • भूमि स्वामित्व: भूमि का असमान वितरण और छोटे भू-खंडों में खेती के कारण उत्पादकता प्रभावित होती है।
  • श्रमिकों की कमी: कृषि कार्यों के लिए कुशल और अकुशल श्रमिकों की कमी होती है।
  • शिक्षा और प्रशिक्षण: किसानों में शिक्षा और प्रशिक्षण की कमी के कारण वे आधुनिक कृषि पद्धतियों का सही उपयोग नहीं कर पाते।

भारतीय कृषि में सुधार के उपाय:- भारतीय कृषि को सुधारने के लिए निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं:

  • आधुनिक तकनीकों का उपयोग: किसानों को आधुनिक कृषि तकनीकों, उन्नत बीजों, और कृषि मशीनों का उपयोग करने के लिए प्रेरित करना चाहिए।
  • सिचाई सुविधाओं का विकास: सिचाई सुविधाओं को सुधारने के लिए ड्रिप सिचाई, स्प्रिंकलर सिचाई, और अन्य उन्नत प्रणालियों का उपयोग किया जाना चाहिए।
  • वित्तीय सहायता: किसानों को कृषि के लिए आवश्यक वित्तीय संसाधनों की उपलब्धता सुनिश्चित करनी चाहिए, जिससे वे बिना कर्ज के अपनी खेती कर सकें।
  • बाजार सुविधाओं का सुधार: कृषि उत्पादों के विपणन के लिए उचित मूल्य और विपणन सुविधाओं को सुधारना चाहिए।
  • शिक्षा और प्रशिक्षण: किसानों को कृषि की उन्नत तकनीकों और पद्धतियों के बारे में शिक्षा और प्रशिक्षण देना चाहिए।
  • भूमि सुधार: भूमि का समान वितरण और छोटे भू-खंडों को बड़े खेतों में बदलने के लिए उपाय करने चाहिए।
  • सरकारी नीतियाँ: सरकार को कृषि के विकास के लिए प्रभावी नीतियाँ और कार्यक्रम बनाने चाहिए और उनका सही पालन करना चाहिए।

निष्कर्ष

भारतीय कृषि न केवल देश की आर्थिक संरचना का आधार है, बल्कि यह भारतीय समाज की सामाजिक और सांस्कृतिक धरोहर का भी महत्वपूर्ण हिस्सा है। भारतीय कृषि के महत्व, प्रकार, फसलों के प्रकार, कृषि पद्धतियाँ, चुनौतियाँ, और सुधार के उपायों पर विस्तृत जानकारी प्रदान करने के उद्देश्य से यह लेख लिखा गया है। इस ज्ञान का उपयोग करके हम भारतीय कृषि को और अधिक उत्पादक, सतत, और लाभदायक बना सकते हैं। किसानों को शिक्षा, प्रशिक्षण, और समर्थन प्रदान करके हम कृषि क्षेत्र में सुधार ला सकते हैं और देश की आर्थिक प्रगति में योगदान कर सकते हैं।

Bihar board class 8th social science notes समाधान

सामाजिक  विज्ञान – हमारी दुनिया भाग 3
आध्यायअध्याय का नाम
1.संसाधन
1A.भूमि, मृदा एवं जल संसाधन
1B.वन एवं वन्य प्राणी संसाधन
1C.खनिज संसाधन
1D.ऊर्जा संसाधन
2.भारतीय कृषि
3उद्योग
3Aलौह-इस्पात उद्योग
3Bवस्त्र उद्योग
3C.सूचना प्रौद्योगिकी उद्योग
4.परिवहन
5.मानव ससंधन
6.एशिया (no Available notes)
7भौगोलिक आँकड़ों का प्रस्तुतिकरण (no Available notes)
कक्ष 8 सामाजिक विज्ञान – अतीत से वर्तमान भाग 3
आध्यायअध्याय का नाम
1.कब, कहाँ और कैसे
2.भारत में अंग्रेजी राज्य की स्थापना
3.ग्रामीण ज़ीवन और समाज
4.उपनिवेशवाद एवं जनजातीय समाज
5.शिल्प एवं उद्योग
6.अंग्रेजी शासन के खिलाफ संघर्ष (1857 का विद्रोह)
7.ब्रिटिश शासन एवं शिक्षा
8.जातीय व्यवस्था की चुनौतियाँ
9.महिलाओं की स्थिति एवं सुधार
10.अंग्रेजी शासन एवं शहरी बदलाव
11.कला क्षेत्र में परिवर्तन
12.राष्ट्रीय आन्दोलन (1885-1947)
13.स्वतंत्रता के बाद विभाजित भारत का जन्म
14.हमारे इतिहासकार कालीकिंकर दत्त (1905-1982)
सामाजिक आर्थिक एवं राजनीतिक जीवन भाग 3
अध्यायअध्याय का नाम
1.भारतीय संविधान
2.धर्मनिरपेक्षता और मौलिक अधिकार
3.संसदीय सरकार (लोग व उनके प्रतिनिधि)
4.कानून की समझ
5.न्यायपालिका
6.न्यायिक प्रक्रिया
7.सहकारिता
8.खाद्य सुरक्षा

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