कला क्षेत्र में परिवर्तन – Bihar board class 8 social science history chapter 11 notes

भारतीय कला का इतिहास अत्यंत समृद्ध और विविधतापूर्ण है। समय के साथ, कला के क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण परिवर्तन हुए हैं, जो समाज, संस्कृति और विचारधारा के विकास को दर्शाते हैं।

Bihar board class 8 social science history chapter 11 notes

अतीत से वर्तमान” श्रृंखला के इस भाग में, हम Bihar board class 8 social science history chapter 11 notes “कला क्षेत्र में परिवर्तन” का विस्तृत अध्ययन करेंगे। इस लेख में, हम भारतीय कला के विभिन्न युगों, उनकी विशेषताओं, और उनमें आए परिवर्तनों पर ध्यान केंद्रित करेंगे।

कला क्षेत्र में परिवर्तन – Bihar board class 8 social science history chapter 11 notes

भारतीय कला का प्राचीन काल

हड़प्पा सभ्यता (2600-1900 ई.पू.):- हड़प्पा सभ्यता भारतीय कला का पहला सुव्यवस्थित उदाहरण है। इस सभ्यता में कला और शिल्प का उत्कृष्ट प्रदर्शन होता है। खुदाई में मिलीं मुद्राएँ, मूर्तियाँ, और बर्तन हड़प्पा कला की उच्च गुणवत्ता को दर्शाते हैं। प्रमुख विशेषताएँ:

  • मुद्राएँ: हड़प्पा मुद्राओं पर विभिन्न पशुओं और धार्मिक प्रतीकों के चित्र अंकित होते थे।
  • मूर्तियाँ: टेराकोटा की छोटी-छोटी मूर्तियाँ, विशेष रूप से नृत्य करती महिला की मूर्ति, इस सभ्यता की कला का उदाहरण हैं।
  • बर्तन: मृदभांड (पॉटरी) पर उकेरी गईं विभिन्न आकृतियाँ और डिजाइन हड़प्पा कला की विशिष्टता है।

वैदिक काल (1500-500 ई.पू.):- वैदिक काल की कला अधिकतर मौखिक और सांस्कृतिक अभिव्यक्ति पर आधारित थी। वेदों के मंत्र, यज्ञ, और धार्मिक अनुष्ठानों में कला की अभिव्यक्ति होती थी। इस काल की प्रमुख विशेषताएँ:

  • यज्ञ वेदियाँ: धार्मिक अनुष्ठानों के लिए बनाई गई यज्ञ वेदियाँ वैदिक कला का हिस्सा थीं।
  • संगीत और नृत्य: वैदिक साहित्य में संगीत और नृत्य का उल्लेख मिलता है, जो इस काल की कला का महत्वपूर्ण हिस्सा थे।

मौर्य और गुप्त काल की कला

मौर्य काल (322-185 ई.पू.):- मौर्य काल भारतीय कला के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। इस काल में कला के क्षेत्र में राजकीय संरक्षण प्राप्त हुआ। प्रमुख विशेषताएँ:

  • स्तूप: अशोक महान ने कई स्तूपों का निर्माण कराया, जिनमें से साँची स्तूप सबसे प्रसिद्ध है।
  • शिलालेख: अशोक ने अपने धार्मिक संदेशों को शिलालेखों के माध्यम से प्रसारित किया।
  • मूर्ति कला: इस काल की मूर्ति कला में यक्ष और यक्षिणी की मूर्तियाँ प्रमुख हैं।

गुप्त काल (320-550 ई.):- गुप्त काल को भारतीय कला का स्वर्ण युग कहा जाता है। इस काल में कला और साहित्य का अत्यधिक विकास हुआ। प्रमुख विशेषताएँ:

  • मंदिर निर्माण: इस काल में मंदिर निर्माण कला का उत्कर्ष हुआ। उदाहरण के लिए, देवगढ़ का दशावतार मंदिर।
  • मूर्ति कला: गुप्त काल की मूर्तियों में सौंदर्य और शांति का अद्वितीय संयोजन है। बुद्ध और विष्णु की मूर्तियाँ प्रमुख हैं।
  • चित्रकला: अजंता की गुफाओं में बनी चित्रकला गुप्त काल की उत्कृष्ट कृतियों में से हैं।

मध्यकालीन भारतीय कला

इस्लामिक प्रभाव:- मध्यकालीन भारत में इस्लामिक शासन के आगमन के साथ भारतीय कला पर इस्लामिक प्रभाव देखा गया। यह प्रभाव विशेष रूप से वास्तुकला और सजावट में प्रकट हुआ। प्रमुख विशेषताएँ:

  • मुगल वास्तुकला: मुगल काल में ताजमहल, लाल किला, और जामा मस्जिद जैसी उत्कृष्ट इमारतों का निर्माण हुआ।
  • मीनाकारी: इस काल में मीनाकारी कला का विकास हुआ, जिसमें धातु पर रंगीन एनामल से सजावट की जाती थी।
  • मुगल चित्रकला: मुगल काल में मिनिएचर पेंटिंग की परंपरा विकसित हुई, जो अद्वितीय सूक्ष्मता और विस्तार के लिए जानी जाती है।

दक्षिण भारतीय कला:- दक्षिण भारत में चोल, पल्लव, और विजयनगर साम्राज्यों ने कला के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया। प्रमुख विशेषताएँ:

  • मंदिर वास्तुकला: चोल और विजयनगर साम्राज्यों के समय में भव्य मंदिरों का निर्माण हुआ, जैसे कि तंजावुर का बृहदेश्वर मंदिर।
  • मूर्ति कला: इस काल की मूर्तिकला में भगवान शिव, विष्णु, और देवी की भव्य मूर्तियाँ बनाई गईं।
  • नृत्य: भरतनाट्यम और कुचिपुड़ी जैसे शास्त्रीय नृत्य इस क्षेत्र की कला का हिस्सा हैं।

आधुनिक भारतीय कला

औपनिवेशिक काल:- औपनिवेशिक काल के दौरान भारतीय कला ने एक नए चरण में प्रवेश किया। पश्चिमी कला और तकनीकों का प्रभाव भारतीय कला पर पड़ा। प्रमुख विशेषताएँ:

  • बंगाल स्कूल ऑफ आर्ट: अवनींद्रनाथ टैगोर ने इस स्कूल की स्थापना की, जिसने भारतीय पारंपरिक कला को पुनर्जीवित किया।
  • राजा रवि वर्मा: उन्होंने भारतीय पौराणिक कथाओं को चित्रित करने के लिए पश्चिमी तकनीकों का उपयोग किया और कला के क्षेत्र में एक नई दिशा प्रदान की।

स्वतंत्रता के बाद का काल:- स्वतंत्रता के बाद भारतीय कला ने और अधिक स्वतंत्रता और विविधता प्राप्त की। इस काल में विभिन्न कला आंदोलनों और प्रयोगों का उदय हुआ। प्रमुख विशेषताएँ:

  • प्रोग्रेसिव आर्टिस्ट्स ग्रुप: इस समूह ने भारतीय कला में आधुनिकता और अंतरराष्ट्रीयता का संचार किया। एफ.एन. सूजा और एम.एफ. हुसैन इसके प्रमुख सदस्य थे।
  • नवीनतम माध्यम: इस काल में कलाकारों ने विभिन्न नवीनतम माध्यमों और तकनीकों का उपयोग किया, जैसे कि फोटोग्राफी, डिजिटल आर्ट, और इंस्टॉलेशन आर्ट।

भारतीय कला के क्षेत्र में परिवर्तन के प्रमुख कारक

  • सांस्कृतिक आदान-प्रदान:- भारतीय कला में परिवर्तन के प्रमुख कारणों में से एक सांस्कृतिक आदान-प्रदान है। विभिन्न विदेशी आक्रमणों और व्यापारियों के आगमन के साथ भारतीय कला ने विदेशी तत्वों को अपनाया और उन्हें अपने तरीके से ढाल लिया।
  • धार्मिक और आध्यात्मिक प्रभाव:- धार्मिक और आध्यात्मिक आंदोलनों ने भी भारतीय कला को गहराई से प्रभावित किया। बौद्ध, जैन, और भक्ति आंदोलन ने भारतीय कला को नई दिशा प्रदान की। इनके प्रभाव से विभिन्न मंदिर, स्तूप, और धार्मिक मूर्तियों का निर्माण हुआ।
  • राजनीतिक और आर्थिक परिस्थितियाँ:- राजनीतिक और आर्थिक परिस्थितियाँ भी भारतीय कला में परिवर्तन का प्रमुख कारक रही हैं। विभिन्न राजवंशों और शासकों के संरक्षण ने कला के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। साथ ही, आर्थिक समृद्धि ने कलाकारों को नई सामग्री और तकनीकों का उपयोग करने की स्वतंत्रता प्रदान की।
  • तकनीकी विकास:- तकनीकी विकास ने भी भारतीय कला में परिवर्तन लाया। नए उपकरणों, सामग्री, और तकनीकों के उपयोग से कलाकारों को अपने कला कार्यों में नई दिशा और गहराई प्रदान करने का अवसर मिला।

भारतीय कला के प्रमुख रूप और उनके परिवर्तन

चित्रकला:- चित्रकला भारतीय कला का एक प्रमुख रूप है। विभिन्न युगों में चित्रकला में महत्वपूर्ण परिवर्तन हुए हैं:

  • प्राचीन चित्रकला: अजंता और एलोरा की गुफाओं में बनी चित्रकला प्राचीन भारतीय चित्रकला का उत्कृष्ट उदाहरण हैं।
  • मध्यकालीन चित्रकला: मुगल और राजपूत चित्रकला इस काल की विशेषताएँ हैं। मुगल चित्रकला में सूक्ष्मता और विस्तार का ध्यान रखा गया, जबकि राजपूत चित्रकला में धार्मिक और वीरता से संबंधित विषयों का चित्रण हुआ।
  • आधुनिक चित्रकला: आधुनिक काल में भारतीय चित्रकला ने पश्चिमी तकनीकों को अपनाया और विभिन्न नए विषयों और शैली का उपयोग किया। बंगाल स्कूल और प्रोग्रेसिव आर्टिस्ट्स ग्रुप ने इसमें महत्वपूर्ण योगदान दिया।

मूर्तिकला:- मूर्तिकला भारतीय कला का एक और महत्वपूर्ण रूप है। विभिन्न युगों में मूर्तिकला में परिवर्तन देखा गया है:

  • प्राचीन मूर्तिकला: हड़प्पा और मौर्य काल की मूर्तियाँ इस युग की उत्कृष्ट कृतियाँ हैं।
  • मध्यकालीन मूर्तिकला: चोल और विजयनगर साम्राज्यों के समय की मूर्तिकला भव्यता और सौंदर्य का अद्वितीय उदाहरण है।
  • आधुनिक मूर्तिकला: आधुनिक काल में मूर्तिकारों ने विभिन्न नई सामग्री और तकनीकों का उपयोग किया। रामकिंकर बैज और अंजलि इला मेनन इसके प्रमुख उदाहरण हैं।

वास्तुकला:- वास्तुकला भारतीय कला का एक प्रमुख रूप है, जिसमें विभिन्न युगों में महत्वपूर्ण परिवर्तन हुए हैं:

  • प्राचीन वास्तुकला: मौर्य और गुप्त काल की स्थापत्य कला में स्तूप और मंदिरों का निर्माण हुआ।
  • मध्यकालीन वास्तुकला: मुगल और दक्षिण भारतीय वास्तुकला में भव्य महलों, मस्जिदों, और मंदिरों का निर्माण हुआ।
  • आधुनिक वास्तुकला: आधुनिक काल में भारतीय वास्तुकला में पश्चिमी शैली और आधुनिक तकनीकों का समावेश हुआ। कॉर्बूज़िए और चार्ल्स कोरिया ने इसमें महत्वपूर्ण योगदान दिया।

भारतीय कला का भविष्य

  • समकालीन भारतीय कला:- मकालीन भारतीय कला में विविधता और नवाचार की विशेषता है। कलाकार विभिन्न नवीनतम माध्यमों और तकनीकों का उपयोग कर रहे हैं और नए विषयों और विचारों का अन्वेषण कर रहे हैं।
  • वैश्विक मंच पर भारतीय कला:- भारतीय कला ने वैश्विक मंच पर अपनी पहचान बनाई है। भारतीय कलाकारों के कार्यों को अंतरराष्ट्रीय कला मेलों और प्रदर्शनियों में सराहा जा रहा है। भारतीय कला का वैश्विक प्रभाव निरंतर बढ़ रहा है।
  • संरक्षण और संवर्धन:- भारतीय कला के संरक्षण और संवर्धन के लिए विभिन्न प्रयास किए जा रहे हैं। सरकार और विभिन्न संगठनों द्वारा भारतीय कला के संरक्षण के लिए विभिन्न योजनाएँ और कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। साथ ही, कला शिक्षण संस्थानों और संग्रहालयों द्वारा भारतीय कला का संवर्धन किया जा रहा है।

निष्कर्ष

भारतीय कला का इतिहास अत्यंत समृद्ध और विविधतापूर्ण है। विभिन्न युगों में कला के क्षेत्र में महत्वपूर्ण परिवर्तन हुए हैं, जो समाज, संस्कृति और विचारधारा के विकास को दर्शाते हैं। प्राचीन काल से लेकर आधुनिक काल तक भारतीय कला ने अपने विविध रूपों और विशिष्टताओं को बनाए रखा है। भविष्य में भी भारतीय कला की समृद्ध परंपरा और नवाचार की धारा निरंतर प्रवाहित होती रहेगी, जिससे कला के क्षेत्र में नए आयाम जुड़ते रहेंगे।

इस प्रकार, “अतीत से वर्तमान” श्रृंखला के इस भाग में हमने भारतीय कला के विभिन्न युगों, उनकी विशेषताओं, और उनमें आए परिवर्तनों का विस्तृत अध्ययन किया। भारतीय कला की समृद्ध विरासत और उसकी अनवरत विकास की धारा हमें सदैव प्रेरित करती रहेगी।

Bihar board class 8th social science notes समाधान

सामाजिक  विज्ञान – हमारी दुनिया भाग 3
आध्यायअध्याय का नाम
1.संसाधन
1A.भूमि, मृदा एवं जल संसाधन
1B.वन एवं वन्य प्राणी संसाधन
1C.खनिज संसाधन
1D.ऊर्जा संसाधन
2.भारतीय कृषि
3उद्योग
3Aलौह-इस्पात उद्योग
3Bवस्त्र उद्योग
3C.सूचना प्रौद्योगिकी उद्योग
4.परिवहन
5.मानव ससंधन
6.एशिया (no Available notes)
7भौगोलिक आँकड़ों का प्रस्तुतिकरण (no Available notes)
कक्ष 8 सामाजिक विज्ञान – अतीत से वर्तमान भाग 3
आध्यायअध्याय का नाम
1.कब, कहाँ और कैसे
2.भारत में अंग्रेजी राज्य की स्थापना
3.ग्रामीण ज़ीवन और समाज
4.उपनिवेशवाद एवं जनजातीय समाज
5.शिल्प एवं उद्योग
6.अंग्रेजी शासन के खिलाफ संघर्ष (1857 का विद्रोह)
7.ब्रिटिश शासन एवं शिक्षा
8.जातीय व्यवस्था की चुनौतियाँ
9.महिलाओं की स्थिति एवं सुधार
10.अंग्रेजी शासन एवं शहरी बदलाव
11.कला क्षेत्र में परिवर्तन
12.राष्ट्रीय आन्दोलन (1885-1947)
13.स्वतंत्रता के बाद विभाजित भारत का जन्म
14.हमारे इतिहासकार कालीकिंकर दत्त (1905-1982)
सामाजिक आर्थिक एवं राजनीतिक जीवन भाग 3
अध्यायअध्याय का नाम
1.भारतीय संविधान
2.धर्मनिरपेक्षता और मौलिक अधिकार
3.संसदीय सरकार (लोग व उनके प्रतिनिधि)
4.कानून की समझ
5.न्यायपालिका
6.न्यायिक प्रक्रिया
7.सहकारिता
8.खाद्य सुरक्षा

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