संसदीय सरकार (लोग व उनके प्रतिनिधि) – Bihar board class 8th SST civics chapter 3


भारतीय लोकतंत्र की जड़ें बहुत गहरी हैं और इसका संचालन संसदीय प्रणाली द्वारा होता है। संसदीय प्रणाली में जनता और उनके द्वारा चुने गए प्रतिनिधियों का विशेष महत्व है। Bihar board class 8th SST civics chapter 3संसदीय सरकार (लोग व उनके प्रतिनिधि)” में इस विषय पर व्यापक जानकारी दी गई है। इस लेख में हम इस अध्याय के मुख्य बिंदुओं पर चर्चा करेंगे और यह समझने का प्रयास करेंगे कि यह प्रणाली कैसे काम करती है और इसके विभिन्न पहलू क्या हैं।

संसदीय सरकार की संसदीय सरकार (लोग व उनके प्रतिनिधि) – Bihar board class 8th SST civics chapter 3

संसदीय सरकार एक ऐसी शासन प्रणाली है जिसमें कार्यकारी शाखा को विधायी शाखा के प्रति जिम्मेदार ठहराया जाता है। भारत में, संसदीय प्रणाली को अपनाया गया है जिसमें संसद देश की सर्वोच्च विधायिका होती है।

संसद की संरचना:- भारतीय संसद दो सदनों से मिलकर बनी होती है:

  • लोकसभा (सदन): यह निचला सदन है, जिसे ‘जनता का सदन’ भी कहा जाता है। इसके सदस्य सीधे जनता द्वारा चुने जाते हैं। वर्तमान में लोकसभा में 545 सदस्य होते हैं।
  • राज्यसभा (परिषद): यह उच्च सदन है, जिसे ‘राज्यों की परिषद’ भी कहा जाता है। इसके सदस्य राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की विधानसभाओं द्वारा चुने जाते हैं। राज्यसभा में 250 सदस्य होते हैं।

लोकसभा और राज्यसभा: भूमिकाएँ और कार्य

लोकसभा:

  • कानून निर्माण: लोकसभा में विधेयकों (बिल) का परिचय और पारित करना।
  • बजट अनुमोदन: वार्षिक बजट और वित्तीय बिलों की स्वीकृति।
  • सरकार का गठन: प्रधानमंत्री का चयन और मंत्रिपरिषद का गठन।
  • संसदीय समितियाँ: विभिन्न मुद्दों पर विचार-विमर्श करने के लिए स्थायी और अस्थायी समितियों का गठन।

राज्यसभा:

  • संविधान संशोधन: संविधान में संशोधन प्रस्तावों का विचार और स्वीकृति।
  • राज्यों के हितों की रक्षा: राज्यों के मुद्दों और चिंताओं का प्रतिनिधित्व।
  • विधेयकों की समीक्षा: लोकसभा द्वारा पारित विधेयकों की समीक्षा और परिमार्जन।
  • विशेषाधिकार: विशेष विधेयकों पर विचार करने का अधिकार।

संसद के अधिवेशन:- संसद के तीन मुख्य अधिवेशन होते हैं:

  • बजट सत्र: फरवरी से मई के बीच, जिसमें वार्षिक बजट पेश किया जाता है।
  • मानसून सत्र: जुलाई से सितंबर के बीच, जिसमें वर्षा ऋतु के दौरान बैठकें होती हैं।
  • शीतकालीन सत्र: नवंबर से दिसंबर के बीच, जिसमें वर्ष के अंत में बैठकें होती हैं।

संसद की कार्यप्रणाली:- विधेयकों का परिचय और पारित करना:

  • साधारण विधेयक: लोकसभा या राज्यसभा में किसी भी सदन में प्रस्तुत किया जा सकता है और दोनों सदनों द्वारा पारित होने के बाद राष्ट्रपति की मंजूरी से कानून बन जाता है।
  • वित्त विधेयक: केवल लोकसभा में प्रस्तुत किया जाता है और राज्यसभा द्वारा सुझाव दिए जा सकते हैं, लेकिन इसे केवल लोकसभा द्वारा पारित किया जाता है।
  • संविधान संशोधन विधेयक: दोनों सदनों द्वारा विशेष बहुमत से पारित किया जाना आवश्यक है।

संसद की समितियाँ:- संसद में विभिन्न मुद्दों पर विचार-विमर्श करने और निर्णय लेने के लिए स्थायी और अस्थायी समितियों का गठन किया जाता है। प्रमुख समितियाँ निम्नलिखित हैं:

  • लोक लेखा समिति: सरकारी खर्चों की जांच।
  • प्राक्कलन समिति: बजट अनुमानों की समीक्षा।
  • सार्वजनिक उपक्रम समिति: सार्वजनिक उपक्रमों की कार्यप्रणाली की समीक्षा।

संसद की भूमिका:- संसद की मुख्य भूमिकाएँ निम्नलिखित हैं:

  • कानून निर्माण: विधेयकों का परिचय और पारित करना।
  • जनता का प्रतिनिधित्व: जनता के मुद्दों और चिंताओं का प्रतिनिधित्व।
  • सरकार की निगरानी: सरकार के कार्यों की निगरानी और समीक्षा।
  • वित्तीय नियंत्रण: बजट और वित्तीय बिलों की स्वीकृति और निगरानी।

संसदीय सरकार में लोग और उनके प्रतिनिधि:- संसदीय सरकार में लोग और उनके प्रतिनिधियों का महत्वपूर्ण योगदान होता है। जनता द्वारा चुने गए प्रतिनिधि संसद में जनता की आवाज उठाते हैं और उनके हितों की रक्षा करते हैं। यह प्रणाली निम्नलिखित बिंदुओं पर आधारित है:

लोकतंत्र और निर्वाचन प्रक्रिया:

  • लोकतंत्र: लोकतंत्र एक ऐसी शासन प्रणाली है जिसमें जनता द्वारा चुने गए प्रतिनिधि सरकार का गठन करते हैं।
  • निर्वाचन प्रक्रिया: नियमित अंतराल पर चुनावों के माध्यम से प्रतिनिधियों का चयन किया जाता है। भारत में, संसदीय चुनाव हर पांच साल में होते हैं।

प्रतिनिधियों की जिम्मेदारियाँ:

  • जनता की सेवा: प्रतिनिधि जनता की समस्याओं का समाधान करते हैं और उनके मुद्दों को संसद में उठाते हैं।
  • विकास कार्य: अपने निर्वाचन क्षेत्र में विकास कार्यों का संचालन और निगरानी।
  • नीतियों का निर्माण: सरकारी नीतियों और योजनाओं का निर्माण और संशोधन।

संसदीय सरकार की चुनौतियाँ:- संसदीय सरकार के समक्ष कई चुनौतियाँ होती हैं:

  • प्रभावी निर्णय लेना: विभिन्न दलों और विचारों के बीच सामंजस्य स्थापित करना।
  • विपक्ष की भूमिका: विपक्षी दलों की रचनात्मक आलोचना और सुझाव।
  • जनता की अपेक्षाएँ: जनता की अपेक्षाओं को पूरा करना और उनकी समस्याओं का समाधान करना।
  • भ्रष्टाचार: भ्रष्टाचार की समस्याओं से निपटना और पारदर्शिता सुनिश्चित करना।

संसदीय प्रणाली के लाभ:- संसदीय प्रणाली के कई लाभ हैं:

  • जनता की भागीदारी: जनता की सीधी भागीदारी और प्रतिनिधित्व।
  • उत्तरदायित्व: सरकार की उत्तरदायित्व और पारदर्शिता।
  • विविधता का सम्मान: विभिन्न विचारों और दृष्टिकोणों का सम्मान।
  • संतुलित निर्णय: विभिन्न दलों और प्रतिनिधियों के विचारों के आधार पर संतुलित निर्णय लेना।

निष्कर्ष

संसदीय सरकार एक महत्वपूर्ण शासन प्रणाली है जो लोकतंत्र की नींव को मजबूत करती है। इसमें जनता और उनके प्रतिनिधियों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। इस प्रणाली के माध्यम से जनता की आवाज को सरकार तक पहुँचाया जाता है और उनके हितों की रक्षा की जाती है। संसदीय प्रणाली की संरचना, कार्यप्रणाली और चुनौतियों को समझना हमारे लोकतंत्र को समझने में महत्वपूर्ण है। BSEB कक्षा 8 सामाजिक विज्ञान के अध्याय “संसदीय सरकार (लोग व उनके प्रतिनिधि)” में इस विषय पर व्यापक जानकारी प्रदान की गई है, जो छात्रों को इस प्रणाली की गहरी समझ देने में सहायक है।

भारत में संसदीय प्रणाली न केवल राजनीतिक स्थिरता प्रदान करती है, बल्कि सामाजिक और आर्थिक विकास के लिए भी महत्वपूर्ण है। यह प्रणाली देश की विविधता को सम्मान देती है और विभिन्न विचारों और दृष्टिकोणों का समावेश करती है। संसदीय प्रणाली के माध्यम से जनता की भागीदारी सुनिश्चित की जाती है, जो लोकतंत्र की सच्ची भावना को प्रकट करती है। इस प्रणाली की महत्वपूर्ण विशेषताओं और कार्यप्रणालियों को समझना छात्रों के लिए महत्वपूर्ण है, ताकि वे भविष्य में एक जिम्मेदार नागरिक के रूप में अपने अधिकारों और कर्तव्यों को समझ सकें।

Bihar board class 8th social science notes समाधान

सामाजिक  विज्ञान – हमारी दुनिया भाग 3
आध्यायअध्याय का नाम
1.संसाधन
1A.भूमि, मृदा एवं जल संसाधन
1B.वन एवं वन्य प्राणी संसाधन
1C.खनिज संसाधन
1D.ऊर्जा संसाधन
2.भारतीय कृषि
3उद्योग
3Aलौह-इस्पात उद्योग
3Bवस्त्र उद्योग
3C.सूचना प्रौद्योगिकी उद्योग
4.परिवहन
5.मानव ससंधन
6.एशिया (no Available notes)
7भौगोलिक आँकड़ों का प्रस्तुतिकरण (no Available notes)
कक्ष 8 सामाजिक विज्ञान – अतीत से वर्तमान भाग 3
आध्यायअध्याय का नाम
1.कब, कहाँ और कैसे
2.भारत में अंग्रेजी राज्य की स्थापना
3.ग्रामीण ज़ीवन और समाज
4.उपनिवेशवाद एवं जनजातीय समाज
5.शिल्प एवं उद्योग
6.अंग्रेजी शासन के खिलाफ संघर्ष (1857 का विद्रोह)
7.ब्रिटिश शासन एवं शिक्षा
8.जातीय व्यवस्था की चुनौतियाँ
9.महिलाओं की स्थिति एवं सुधार
10.अंग्रेजी शासन एवं शहरी बदलाव
11.कला क्षेत्र में परिवर्तन
12.राष्ट्रीय आन्दोलन (1885-1947)
13.स्वतंत्रता के बाद विभाजित भारत का जन्म
14.हमारे इतिहासकार कालीकिंकर दत्त (1905-1982)
सामाजिक आर्थिक एवं राजनीतिक जीवन भाग 3
अध्यायअध्याय का नाम
1.भारतीय संविधान
2.धर्मनिरपेक्षता और मौलिक अधिकार
3.संसदीय सरकार (लोग व उनके प्रतिनिधि)
4.कानून की समझ
5.न्यायपालिका
6.न्यायिक प्रक्रिया
7.सहकारिता
8.खाद्य सुरक्षा

आशा है कि इस लेख के माध्यम से BSEB कक्षा 8 सामाजिक विज्ञान के छात्रों को संसदीय सरकार (लोग व उनके प्रतिनिधि) के बारे में विस्तृत और समग्र जानकारी प्राप्त होगी, जिससे वे इस महत्वपूर्ण विषय को गहराई से समझ सकें और इसके महत्व को पहचान सकें।

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