खाद्य सुरक्षा – Bihar board class 8th SST civics chapter 8 Notes in Hindi

खाद्य सुरक्षा किसी भी समाज के लिए एक महत्वपूर्ण पहलू है। यह सुनिश्चित करता है कि सभी नागरिकों को पर्याप्त, सुरक्षित, और पौष्टिक भोजन मिल सके। Bihar board class 8th SST civics chapter 8 Notesखाद्य सुरक्षा” में इस विषय को विस्तार से समझाया गया है। इस लेख में हम खाद्य सुरक्षा की परिभाषा, उसकी आवश्यकता, भारत में खाद्य सुरक्षा की स्थिति, सरकार की योजनाएं, और इसके महत्व पर चर्चा करेंगे।

खाद्य सुरक्षा - Bihar board class 8th SST civics chapter 8 Notes in Hindi

खाद्य सुरक्षा – Bihar board class 8th SST civics chapter 8 Notes in Hindi

खाद्य सुरक्षा की परिभाषा:- खाद्य सुरक्षा का अर्थ है सभी लोगों को हर समय पर्याप्त, सुरक्षित, और पौष्टिक भोजन की उपलब्धता, ताकि वे सक्रिय और स्वस्थ जीवन जी सकें। खाद्य सुरक्षा के तीन मुख्य घटक हैं:

  • भोजन की उपलब्धता: पर्याप्त मात्रा में भोजन का उत्पादन और आपूर्ति।
  • भोजन की पहुँच: लोगों को भोजन खरीदने के लिए आर्थिक और भौतिक पहुँच।
  • भोजन का उपयोग: भोजन का उचित उपयोग और खपत, जिसमें स्वच्छता और पोषण संबंधी ज्ञान शामिल है।

खाद्य सुरक्षा की आवश्यकता:- खाद्य सुरक्षा की आवश्यकता इसलिए है क्योंकि यह निम्नलिखित समस्याओं को हल करने में मदद करती है:

  • भुखमरी और कुपोषण: खाद्य सुरक्षा भुखमरी और कुपोषण को कम करने में सहायक होती है।
  • स्वास्थ्य सुधार: पर्याप्त और पौष्टिक भोजन स्वस्थ जीवन के लिए आवश्यक है।
  • आर्थिक स्थिरता: खाद्य सुरक्षा से कृषि और अन्य संबंधित उद्योगों में स्थिरता और विकास होता है।
  • सामाजिक स्थिरता: खाद्य सुरक्षा समाज में शांति और स्थिरता बनाए रखने में मदद करती है।

भारत में खाद्य सुरक्षा की स्थिति:- भारत में खाद्य सुरक्षा एक प्रमुख चिंता का विषय है। यहाँ की बड़ी जनसंख्या, आर्थिक विषमताएँ, और कृषि पर निर्भरता खाद्य सुरक्षा को प्रभावित करती हैं। भारत में खाद्य सुरक्षा की स्थिति निम्नलिखित है:

  • कृषि उत्पादन:- भारत एक कृषि प्रधान देश है, जहाँ की अधिकांश जनसंख्या कृषि पर निर्भर है। यहाँ धान, गेहूँ, दालें, तिलहन, और अन्य फसलों का व्यापक उत्पादन होता है। हालांकि, अनियमित मानसून, प्राकृतिक आपदाएँ, और पारंपरिक कृषि पद्धतियाँ उत्पादन को प्रभावित करती हैं।
  • वितरण प्रणाली :- भारत में सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक महत्वपूर्ण माध्यम है। इसके तहत सस्ते दरों पर राशन की दुकानों के माध्यम से आवश्यक वस्त्र जैसे गेहूँ, चावल, और चीनी उपलब्ध कराए जाते हैं।
  • कुपोषण:- भारत में कुपोषण एक बड़ी समस्या है, विशेषकर बच्चों और महिलाओं में। सरकारी योजनाओं और कार्यक्रमों के बावजूद, कुपोषण दर उच्च है।
  • भंडारण और परिवहन:- खाद्यान्नों के भंडारण और परिवहन की व्यवस्था में कई समस्याएँ हैं, जैसे कि भंडारण की कमी, फसल नुकसान, और वितरण में देरी। यह समस्याएँ खाद्य सुरक्षा को प्रभावित करती हैं।
  • सरकार की योजनाएं:- भारत सरकार ने खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कई योजनाएं और कार्यक्रम शुरू किए हैं। इनमें से कुछ प्रमुख योजनाएं निम्नलिखित हैं:
  • राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA), 2013:- राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 एक महत्वपूर्ण कानून है जो खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए बनाया गया है। इसके तहत, 75% ग्रामीण और 50% शहरी जनसंख्या को सस्ते दरों पर खाद्यान्न उपलब्ध कराया जाता है।
  • सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS):- PDS का उद्देश्य गरीब और निम्न-आय वर्ग के लोगों को सस्ते दरों पर आवश्यक वस्त्र उपलब्ध कराना है। यह प्रणाली देश भर में फैले राशन की दुकानों के माध्यम से संचालित होती है।
  • मिड-डे मील योजना:- मिड-डे मील योजना के तहत स्कूलों में बच्चों को मध्याह्न भोजन प्रदान किया जाता है। इसका उद्देश्य बच्चों में कुपोषण कम करना और स्कूलों में उपस्थिति बढ़ाना है।
  • एकीकृत बाल विकास योजना (ICDS):- ICDS का उद्देश्य बच्चों, गर्भवती महिलाओं, और स्तनपान कराने वाली माताओं को पूरक पोषण, स्वास्थ्य सेवाएं, और शिक्षा प्रदान करना है।

खाद्य सुरक्षा के महत्व:- खाद्य सुरक्षा का समाज में महत्वपूर्ण स्थान है। इसके मुख्य महत्व निम्नलिखित हैं:

  • स्वास्थ्य और पोषण:- खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करती है कि सभी लोगों को पौष्टिक और सुरक्षित भोजन मिले, जिससे उनका स्वास्थ्य और पोषण स्तर बेहतर हो।
  • सामाजिक स्थिरता:- खाद्य सुरक्षा समाज में स्थिरता और शांति बनाए रखने में मदद करती है। यह भूख और कुपोषण के कारण उत्पन्न होने वाली समस्याओं को कम करती है।
  • आर्थिक विकास:- खाद्य सुरक्षा से कृषि और अन्य संबंधित उद्योगों में विकास होता है, जिससे रोजगार के अवसर बढ़ते हैं और आर्थिक स्थिरता आती है।
  • मानवाधिकार:- खाद्य सुरक्षा को एक मूलभूत मानवाधिकार माना जाता है। यह सुनिश्चित करता है कि हर व्यक्ति को जीने के लिए पर्याप्त भोजन मिले।

खाद्य सुरक्षा में चुनौतियाँ:- खाद्य सुरक्षा को सुनिश्चित करने में कई चुनौतियाँ हैं, जिनसे निपटना आवश्यक है:

  • जलवायु परिवर्तन:- जलवायु परिवर्तन से कृषि उत्पादन प्रभावित होता है, जिससे खाद्य सुरक्षा को खतरा होता है। अनियमित मानसून, सूखा, और बाढ़ जैसी समस्याएँ कृषि उत्पादन को नुकसान पहुंचाती हैं।
  • जनसंख्या वृद्धि:- भारत की बड़ी और तेजी से बढ़ती जनसंख्या खाद्य सुरक्षा के लिए एक बड़ी चुनौती है। जनसंख्या वृद्धि के साथ खाद्यान्न की मांग भी बढ़ती है, जिससे उत्पादन और आपूर्ति पर दबाव बढ़ता है।
  • गरीबी:- गरीबी खाद्य सुरक्षा के लिए एक प्रमुख बाधा है। गरीब लोगों को पर्याप्त और पौष्टिक भोजन प्राप्त करने में कठिनाई होती है।
  • भंडारण और परिवहन:- खाद्यान्नों के भंडारण और परिवहन में कई समस्याएँ हैं। भंडारण की कमी, फसल नुकसान, और वितरण में देरी खाद्य सुरक्षा को प्रभावित करते हैं।
  • आर्थिक विषमताएँ:- आर्थिक विषमताएँ भी खाद्य सुरक्षा को प्रभावित करती हैं। गरीब और निम्न-आय वर्ग के लोग खाद्यान्न प्राप्त करने में कठिनाई का सामना करते हैं।

खाद्य सुरक्षा में सुधार के उपाय:- खाद्य सुरक्षा को बेहतर बनाने के लिए निम्नलिखित उपाय आवश्यक हैं:

  • आधुनिक कृषि पद्धतियाँ:- कृषि में आधुनिक तकनीकों और पद्धतियों का उपयोग करके उत्पादन को बढ़ावा देना आवश्यक है। जैविक खेती, जल प्रबंधन, और बेहतर बीजों का उपयोग करके कृषि उत्पादन को बढ़ाया जा सकता है।
  • भंडारण और परिवहन सुधार:- खाद्यान्नों के भंडारण और परिवहन की व्यवस्था में सुधार करके फसल नुकसान को कम किया जा सकता है। इसके लिए आधुनिक भंडारण सुविधाएं और प्रभावी परिवहन प्रणाली आवश्यक हैं।
  • जनसंख्या नियंत्रण:- जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रित करने के लिए जनसंख्या नियंत्रण के उपाय अपनाए जाने चाहिए। इसके लिए जनसंख्या जागरूकता कार्यक्रम और परिवार नियोजन सेवाएं प्रदान की जा सकती हैं।
  • गरीबी उन्मूलन:- गरीबी उन्मूलन के लिए रोजगार सृजन और आर्थिक विकास के कार्यक्रम चलाए जाने चाहिए। इससे लोगों की आय बढ़ेगी और वे खाद्यान्न खरीदने में सक्षम होंगे।
  • आर्थिक विषमता कम करना:- आर्थिक विषमता को कम करने के लिए सामाजिक और आर्थिक सुधार कार्यक्रम चलाए जाने चाहिए। इसके तहत गरीबों को शिक्षा, स्वास्थ्य, और रोजगार के अवसर प्रदान किए जाने चाहिए।

निष्कर्ष

खाद्य सुरक्षा एक महत्वपूर्ण विषय है जो समाज के विकास और स्थिरता के लिए आवश्यक है। इसकी परिभाषा, आवश्यकता, भारतीय संदर्भ में स्थिति, सरकार की योजनाएं, और इसके महत्व को समझना आवश्यक है। BSEB कक्षा 8 के सामाजिक विज्ञान के अध्याय “खाद्य सुरक्षा” में इन सभी पहलुओं पर विस्तृत जानकारी प्रदान की गई है, जो छात्रों को खाद्य सुरक्षा की गहरी समझ प्रदान करती है।

खाद्य सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक है कि हम इसे और अधिक प्रभावी बनाने के लिए आवश्यक सुधार करें और समाज के सभी वर्गों को इसमें शामिल करें। खाद्य सुरक्षा का महत्व हमारे समाज में अनमोल है और इसका सम्मान और पालन हर नागरिक का कर्तव्य है। इस लेख के माध्यम से हमने खाद्य सुरक्षा की विभिन्न विशेषताओं, कार्यों, और चुनौतियों पर विस्तृत चर्चा की है, जो BSEB कक्षा 8 के छात्रों के लिए उपयोगी साबित होगी।

Bihar board class 8th social science notes समाधान

सामाजिक  विज्ञान – हमारी दुनिया भाग 3
आध्यायअध्याय का नाम
1.संसाधन
1A.भूमि, मृदा एवं जल संसाधन
1B.वन एवं वन्य प्राणी संसाधन
1C.खनिज संसाधन
1D.ऊर्जा संसाधन
2.भारतीय कृषि
3उद्योग
3Aलौह-इस्पात उद्योग
3Bवस्त्र उद्योग
3C.सूचना प्रौद्योगिकी उद्योग
4.परिवहन
5.मानव ससंधन
6.एशिया (no Available notes)
7भौगोलिक आँकड़ों का प्रस्तुतिकरण (no Available notes)
कक्ष 8 सामाजिक विज्ञान – अतीत से वर्तमान भाग 3
आध्यायअध्याय का नाम
1.कब, कहाँ और कैसे
2.भारत में अंग्रेजी राज्य की स्थापना
3.ग्रामीण ज़ीवन और समाज
4.उपनिवेशवाद एवं जनजातीय समाज
5.शिल्प एवं उद्योग
6.अंग्रेजी शासन के खिलाफ संघर्ष (1857 का विद्रोह)
7.ब्रिटिश शासन एवं शिक्षा
8.जातीय व्यवस्था की चुनौतियाँ
9.महिलाओं की स्थिति एवं सुधार
10.अंग्रेजी शासन एवं शहरी बदलाव
11.कला क्षेत्र में परिवर्तन
12.राष्ट्रीय आन्दोलन (1885-1947)
13.स्वतंत्रता के बाद विभाजित भारत का जन्म
14.हमारे इतिहासकार कालीकिंकर दत्त (1905-1982)
सामाजिक आर्थिक एवं राजनीतिक जीवन भाग 3
अध्यायअध्याय का नाम
1.भारतीय संविधान
2.धर्मनिरपेक्षता और मौलिक अधिकार
3.संसदीय सरकार (लोग व उनके प्रतिनिधि)
4.कानून की समझ
5.न्यायपालिका
6.न्यायिक प्रक्रिया
7.सहकारिता
8.खाद्य सुरक्षा

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