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Bihar Board Class 8 Science Chapter 7 Notes – सूक्ष्मजीवों का संसार
सूक्ष्मजीव (Microorganisms) या सूक्ष्मजीवाणु (Microbes) ऐसे जीव होते हैं जिन्हें नग्न आंखों से नहीं देखा जा सकता। इनका आकार इतना छोटा होता है कि इन्हें देखने के लिए सूक्ष्मदर्शी (Microscope) की आवश्यकता होती है। सूक्ष्मजीव विज्ञान (Microbiology) में इनका अध्ययन किया जाता है। इस लेख में, हम सूक्ष्मजीवों के विभिन्न प्रकार, उनके गुण, उनके उपयोग, और उनसे जुड़ी बीमारियों के बारे में विस्तार से जानेंगे।
सूक्ष्मजीवों के प्रकार:- सूक्ष्मजीवों को मुख्यतः पांच प्रकारों में वर्गीकृत किया जा सकता है:
- बैक्टीरिया (Bacteria):– यह एककोशिकीय जीव होते हैं जो स्वतंत्र रूप से जी सकते हैं। ये गोल (Cocci), छड़ी के आकार (Bacilli), और घुमावदार (Spirilla) रूप में पाए जाते हैं। उदाहरण: ई.कोली (E. coli), सैल्मोनेला (Salmonella)।
- विषाणु (Viruses):– विषाणु जीवित और निर्जीव दोनों रूपों में होते हैं। ये केवल अन्य जीवित कोशिकाओं के अंदर ही वृद्धि कर सकते हैं उदाहरण: एचआईवी (HIV), इन्फ्लुएंजा (Influenza)।
- कवक (Fungi):– ये एककोशिकीय या बहुकोशिकीय जीव होते हैं। ये मुख्यतः मृत और सड़ने वाले पदार्थों पर निर्भर होते हैं। उदाहरण: यीस्ट (Yeast), मोल्ड (Mold)।
- प्रोटोजोआ (Protozoa):– ये एककोशिकीय जीव होते हैं जो सामान्यतः जल में पाए जाते हैं। उदाहरण: अमीबा (Amoeba), पैरामेशियम (Paramecium)।
- शैवाल (Algae):– ये एककोशिकीय या बहुकोशिकीय फोटोसिंथेसिस करने वाले जीव होते हैं। ये सामान्यतः जल में पाए जाते हैं। उदाहरण: क्लोरेला (Chlorella), स्पाइरोजाइरा (Spirogyra)।
सूक्ष्मजीवों के गुण:- सूक्ष्मजीवों के कुछ सामान्य गुण निम्नलिखित हैं:
- अत्यंत छोटा आकार:– सूक्ष्मजीवों का आकार बहुत छोटा होता है। इन्हें देखने के लिए सूक्ष्मदर्शी का उपयोग किया जाता है।
- विभिन्न प्रकार की आकृतियाँ:– सूक्ष्मजीवों की विभिन्न आकृतियाँ होती हैं, जैसे गोल, छड़ी के आकार, और घुमावदार।
- तेजी से विभाजन:– सूक्ष्मजीव तेजी से विभाजित होते हैं और बड़ी संख्या में वृद्धि करते हैं।
- परिस्थितिक सहिष्णुता:– सूक्ष्मजीव विभिन्न प्रकार की पर्यावरणीय स्थितियों में जीवित रह सकते हैं, जैसे उष्णता, ठंड, अम्लीय या क्षारीय परिस्थितियाँ।
सूक्ष्मजीवों का उपयोग:- सूक्ष्मजीवों का उपयोग हमारे जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में होता है। यहाँ कुछ महत्वपूर्ण उपयोग दिए गए हैं:
- खाद्य पदार्थों का उत्पादन: – सूक्ष्मजीवों का उपयोग दही, चीज़, ब्रेड, और शराब जैसे खाद्य पदार्थों के उत्पादन में किया जाता है। उदाहरण: लैक्टोबैसिलस (Lactobacillus) बैक्टीरिया दही बनाने में सहायक होता है।
- औषधियों का उत्पादन:– सूक्ष्मजीवों का उपयोग विभिन्न औषधियों, जैसे एंटीबायोटिक्स, के उत्पादन में किया जाता है उदाहरण: पेनिसिलियम (Penicillium) कवक से पेनिसिलिन (Penicillin) एंटीबायोटिक बनाई जाती है।
- वातावरण का शुद्धिकरण:– सूक्ष्मजीवों का उपयोग जैविक अपशिष्ट पदार्थों के विघटन में किया जाता है, जिससे वातावरण शुद्ध होता है। उदाहरण: डिकंपोजर बैक्टीरिया और फंगी मरे हुए पौधों और जानवरों को विघटित करते हैं।
- औद्योगिक प्रक्रियाएँ:– सूक्ष्मजीवों का उपयोग विभिन्न औद्योगिक प्रक्रियाओं में किया जाता है, जैसे एंजाइम उत्पादन, जैविक ईंधन का उत्पादन, और जैविक उर्वरक का निर्माण। उदाहरण: यीस्ट का उपयोग एथनॉल उत्पादन में होता है।
सूक्ष्मजीवों से होने वाली बीमारियाँ:- हालांकि सूक्ष्मजीवों के कई लाभ होते हैं, लेकिन वे कई बीमारियों का कारण भी बन सकते हैं। यहाँ कुछ प्रमुख बीमारियाँ दी गई हैं:
- बैक्टीरियल बीमारियाँ:– क्षय रोग (Tuberculosis): माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस (Mycobacterium tuberculosis) बैक्टीरिया के कारण होता है।
- स्ट्रेप थ्रोट (Strep Throat): स्ट्रेप्टोकोकस (Streptococcus) बैक्टीरिया के कारण होता है।
वायरल बीमारियाँ:
- एड्स (AIDS): एचआईवी (HIV) वायरस के कारण होता है।
- इन्फ्लुएंजा (Influenza): इन्फ्लुएंजा वायरस के कारण होता है।
कवकीय बीमारियाँ:
- कैंडिडियासिस (Candidiasis): कैंडिडा (Candida) कवक के कारण होता है।
- रिंगवर्म (Ringworm): विभिन्न प्रकार के कवकों के कारण होता है।
प्रोटोजोआ बीमारियाँ:
- मलेरिया (Malaria): प्लास्मोडियम (Plasmodium) प्रोटोजोआ के कारण होता है।
- अमीबियासिस (Amoebiasis): एंटामोएबा हिस्टोलिटिका (Entamoeba histolytica) प्रोटोजोआ के कारण होता है।
सूक्ष्मजीवों से बचाव के उपाय:- सूक्ष्मजीवों से होने वाली बीमारियों से बचाव के लिए निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं:
- स्वच्छता का ध्यान:– नियमित हाथ धोना, साफ पानी पीना, और साफ-सफाई का ध्यान रखना आवश्यक है।
- टीकाकरण:– विभिन्न बीमारियों के लिए समय पर टीकाकरण करवाना चाहिए।
- संतुलित आहार:– संतुलित आहार लेना जिससे रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।
- मच्छरदानी का उपयोग:– मलेरिया और डेंगू जैसी बीमारियों से बचने के लिए मच्छरदानी का उपयोग करें।
सूक्ष्मजीवों का अध्ययन:- सूक्ष्मजीवों का अध्ययन सूक्ष्मजीव विज्ञान (Microbiology) के अंतर्गत आता है। सूक्ष्मजीवों का अध्ययन करने के लिए निम्नलिखित उपकरणों और तकनीकों का उपयोग किया जाता है:
- सूक्ष्मदर्शी (Microscope): सूक्ष्मजीवों को देखने और उनका अध्ययन करने के लिए सूक्ष्मदर्शी का उपयोग किया जाता है।
- संवर्धन माध्यम (Culture Medium): सूक्ष्मजीवों को बढ़ने और उनका अध्ययन करने के लिए संवर्धन माध्यम का उपयोग किया जाता है।
- स्टेनिंग (Staining): सूक्ष्मजीवों को रंगीन करने के लिए स्टेनिंग तकनीक का उपयोग किया जाता है, जिससे उन्हें सूक्ष्मदर्शी के नीचे आसानी से देखा जा सके।
सूक्ष्मजीवों का पारिस्थितिक महत्व:- सूक्ष्मजीव पर्यावरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वे जैविक चक्रों, जैसे नाइट्रोजन चक्र, कार्बन चक्र, और फॉस्फोरस चक्र में महत्वपूर्ण होते हैं।
- नाइट्रोजन चक्र (Nitrogen Cycle): कुछ बैक्टीरिया, जैसे राइजोबियम (Rhizobium), नाइट्रोजन को हवा से अवशोषित करके पौधों को उपयोगी नाइट्रेट में बदलते हैं।
- कार्बन चक्र (Carbon Cycle): डीकंपोजर बैक्टीरिया और फंगी मृत पौधों और जानवरों को विघटित करके कार्बन डाइऑक्साइड में बदलते हैं, जो पौधों द्वारा पुनः उपयोग किया जाता है।
- फॉस्फोरस चक्र (Phosphorus Cycle): सूक्ष्मजीव फॉस्फोरस को मिट्टी में मुक्त करके पौधों के लिए उपलब्ध कराते हैं।
निष्कर्ष
सूक्ष्मजीव हमारे जीवन का अभिन्न हिस्सा हैं। वे न केवल हमारे पर्यावरण को संतुलित रखते हैं बल्कि हमारे दैनिक जीवन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। खाद्य पदार्थों के उत्पादन, औषधियों के निर्माण, और जैविक चक्रों में उनकी भूमिका अद्वितीय है। हालांकि सूक्ष्मजीव कई बीमारियों का कारण भी बन सकते हैं, लेकिन सही स्वच्छता, टीकाकरण, और संतुलित आहार से हम उनसे बच सकते हैं। सूक्ष्मजीवों का अध्ययन हमें उनकी विविधता और महत्व को समझने में मदद करता है और हमें यह जानने का अवसर देता है कि वे हमारे जीवन में कितने आवश्यक हैं। आशा है कि इस लेख से आपको सूक्ष्मजीवों के विभिन्न पहलुओं और उनकी उपयोगिता के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त हुई होगी।